Harivansh Rai Bachchan : आज, 18 जनवरी, हिंदी के प्रसिद्ध कवि और लेखक हरिवंश राय बच्चन की 14वीं पुण्यतिथि है। उनका जन्म 1907 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के छोटे-से गांव पट्टी में हुआ था।
घर में सभी उन्हें प्यार से “बच्चन” कहकर पुकारते थे। उनकी शुरुआती शिक्षा गांव में हुई, जिसके बाद वे उच्च शिक्षा के लिए इलाहाबाद और फिर कैम्ब्रिज गए। कैम्ब्रिज में उन्होंने इंग्लिश लिटरेचर के मशहूर कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध किया।
जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव
हरिवंश राय बच्चन का जीवन संघर्षों और उपलब्धियों का अनूठा संगम था।
- पहली शादी और श्यामा का निधन: 1926 में उनकी शादी श्यामा से हुई, लेकिन 1936 में लंबी बीमारी के कारण उनका निधन हो गया।
- तेजी सूरी से विवाह: 1941 में बच्चन ने तेजी सूरी से विवाह किया। दोनों घटनाओं का प्रभाव उनकी कविताओं और साहित्यिक कृतियों में स्पष्ट झलकता है।
- परिवार: हरिवंश राय के दो बेटे हैं- अमिताभ बच्चन, जो फिल्म जगत के मशहूर अभिनेता हैं, और अजिताभ बच्चन, जो एक सफल बिजनेसमैन हैं।

गांधी परिवार से करीबी संबंध
बच्चन परिवार के गांधी परिवार से विशेष संबंध थे।
- हरिवंश राय बच्चन की पत्नी तेजी और इंदिरा गांधी के बीच गहरी दोस्ती थी।
- राजीव गांधी और सोनिया गांधी की शादी की कुछ रस्में बच्चन परिवार के घर से पूरी की गईं।
- जब अमिताभ बच्चन फिल्म ‘कुली’ की शूटिंग के दौरान घायल हुए थे, तो राजीव गांधी और इंदिरा गांधी उन्हें देखने अस्पताल पहुंचे थे।
महत्वपूर्ण उपलब्धियां
- शिक्षा क्षेत्र में योगदान: 1941 से 1952 तक हरिवंश राय बच्चन ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य पढ़ाया।
- सरकारी सेवा: 1955 में कैम्ब्रिज से लौटने के बाद वे भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त हुए।
- राज्यसभा सदस्य: 1966 में राज्यसभा के लिए मनोनीत हुए।
- सम्मान और पुरस्कार:
- 1968 में “दो चट्टानें” के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार।
- सरस्वती सम्मान, यश भारती सम्मान, और सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार।
- 1976 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित।
Harivansh Rai Bachchan
‘मधुशाला’ और साहित्यिक योगदान
हरिवंश राय बच्चन की कविता संग्रह ‘मधुशाला’ 1935 में प्रकाशित हुई और उन्हें हिंदी साहित्य में व्यापक प्रसिद्धि दिलाई। मधुशाला आज भी पाठकों के बीच अत्यंत लोकप्रिय है।
उनकी आत्मकथा को हिंदी साहित्य की अमूल्य निधि माना जाता है। यह चार खंडों में प्रकाशित हुई है:
- क्या भूलूं क्या याद करूं
- नीड़ का निर्माण फिर
- बसेरे से दूर
- दशद्वार से सोपान तक
हरिवंश राय बच्चन एक ऐसे साहित्यकार थे, जिन्होंने हिंदी साहित्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाई। उनकी कविताएं और आत्मकथा न केवल साहित्यिक दृष्टि से अमूल्य हैं, बल्कि उन्होंने हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं