रायपुर : मुंडन कराए गुरूजी की गुहार : नवा रायपुर के तूता धरना स्थल पर मुंडन कराये गुरूजी लगा रहे हैं गुहार, नौकरी पक्की कर दो सरकार। ये सभी B. ed डिग्रीधारी सहायक शिक्षक पिछले हफ्ते से ही यहां धरने पर बैठे हैं। इसका दुखद पहलू ये है कि सरकार ने इनकी मांगों को आज तक पूरी नहीं किया। इससे दुःखी होकर इन सभी शिक्षकों और शिक्षिकाओं ने सामूहिक मुंडन करा कर अपना विरोध दर्ज़ कराया।
मुंडन कराए गुरूजी की गुहार : निरंतर धरना जारी
दरअसल छत्तीसगढ़ में बीएड सहायक शिक्षकों का विरोध प्रदर्शन जारी है। पिछले एक हफ्ते से बीएड सहायक शिक्षक तूता धरना स्थल पर धरना -प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि उनकी मांगे अब तक पूरी नहीं की गई है। तो वहीं आज महिला-पुरुष शिक्षक सामूहिक रूप से मुंडन कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
हम आपको बता दें कि, बीएड सहायक शिक्षक काफी अरसे से अपनी नौकरी सरकारी करने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। अब तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई है। शुक्रवार को बीएड सहायक शिक्षक महिला-पुरुष ने मिलकर सामूहिक सिर मुंड़ाने ने का फैसला लिया और दोपहर तक इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई। पुरुषों के साथ 25 से ज्यादा सहायक शिक्षिकाओं ने भी अपना मुंडन कराया ।
आत्मसम्मान का भी दान करने को तैयार : महिला शिक्षिकाएं
महिलाओं का आत्मसम्मान उनके केश यानि कि बालों को माना जाता है। ऐसे में महिला अध्यापिकाओं का कहना है कि, अपनी सेवा सुरक्षा और भविष्य के अधिकारों के लिए वे अपनी पहचान और आत्मसम्मान का भी बलिदान देने को तैयार हैं।ये कदम उनके संघर्ष की गंभीरता को प्रदर्शित करता है। यह केवल बालों का त्याग नहीं, बल्कि उनके भविष्य के लिए एक गहरी पीड़ा और न्याय की आवाज है।
नहीं मिला कोई ठोस आश्वासन
अध्यापक और अध्यापिकाओं ने 14 दिसंबर को अंबिकापुर से रायपुर तक पैदल अनुनय यात्रा शुरू की थी। रायपुर पहुंचने के बाद यह यात्रा धरने में परिवर्तित हो गई। इस दौरान अध्यापकों ने सरकार और जनप्रतिनिधियों को अपनी पीड़ा सुनाने के लिए आमंत्रण पत्र भी भेजे लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला है।
न्याय की अंतिम पुकार यानि बालों का दान – सहायक शिक्षक
शिक्षकों ने आज के सामूहिक मुंडन को ‘न्याय की अंतिम पुकार’ का नाम दे डाला है। इन लोगों ने सरकार से सवाल किया है कि, क्या उनके इस संघर्ष और बलिदान को भी अंदेखा किया जाएगा? अध्यापकों ने कहा कि, हम न्याय मांग रहे हैं, दया नहीं। हमारा भविष्य सुरक्षित करना प्रदेश सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। जब तक सरकार उनकी नौकरी पक्की नहीं कर देती, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
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