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Ganesh Jee Ki Arti Path : भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है। हर बुधवार को श्री गणेश की पूजा और आरती का विशेष महत्व है। श्री गणेश की आरती “जय गणेश, जय गणेश देवा” में कई पंक्तियां भगवान की महिमा का वर्णन करती हैं। इनमें से “बांझन को पुत्र देत” एक महत्वपूर्ण पंक्ति है, जिसे सुनकर कई लोग जिज्ञासु हो जाते हैं। आइए इस पंक्ति के अर्थ, आरती के महत्व, और बुधवार को गणेश पूजा के लाभ के बारे में विस्तार से जानें।
“बांझन को पुत्र देत” का शाब्दिक अर्थ है कि भगवान गणेश निसंतान को संतान का वरदान देते हैं। यह पंक्ति भगवान गणेश की कृपा और उनकी कृपालुता को दर्शाती है। यहां “पुत्र” शब्द सिर्फ बेटा नहीं, बल्कि संतान के रूप में लिया गया है।
संस्कृत में “पुत्र” का शुद्ध रूप “पुत्त्रः” है, जिसका मतलब संतान या बच्चा होता है। यह पंक्ति यह भी बताती है कि भगवान गणेश की आराधना से जीवन के सभी प्रकार के अभाव और बाधाएं दूर हो सकती हैं।
गणेश जी की आरती करना उनके प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। आरती के माध्यम से भक्त अपने मन और आत्मा को शुद्ध करते हैं और भगवान से अपने जीवन की समस्याओं को हल करने की प्रार्थना करते हैं।
बुधवार का दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए विशेष होता है। इसे बुध ग्रह से जोड़ा गया है, जो बुद्धि और संचार का कारक माना जाता है। कुंडली में यदि बुध ग्रह अशुभ हो, तो गणेश जी की पूजा से लाभ होता है।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एकदंत, दयावंत, चारभुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डू का भोग लगे, संत करे सेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
गणेश जी की आरती और पूजा न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भक्त और भगवान के बीच का आध्यात्मिक संबंध भी है। “बांझन को पुत्र देत” पंक्ति भगवान गणेश की कृपा शक्ति का प्रमाण है, जो भक्तों के जीवन से हर प्रकार के कष्ट को दूर कर सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करते हैं। बुधवार को गणेश जी की पूजा करने और आरती गाने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और उन्नति आती है।
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