Sharadiya Navratri 2024 Day 1 : शारदीय नवरात्रि का पहला दिन: मां शैलपुत्री की पूजा
पूजा का महत्त्व
शारदीय नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है, जो नवदुर्गा के नौ रूपों में से पहले हैं। मां शैलपुत्री को हिमालय की पुत्री माना जाता है और यह दिन विशेष रूप से देवी की घटस्थापना के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन की पूजा से साधक के जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है
पूजा विधि
घटस्थापना:
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त प्रात: 6:15 बजे से 7:22 बजे तक है। अभिजीत मुहूर्त 11:46 बजे से 12:33 बजे तक है
कलश को स्वच्छ जल और चावल से भरकर स्थापित करें, और उसके चारों ओर जौ या गेहूं बोएं।
मां शैलपुत्री की पूजा:
पूजा स्थल को स्वच्छ करें और वहां लाल या सफेद वस्त्र बिछाएं।
मां शैलपुत्री के चित्र या मूर्ति के सामने दीप जलाएं।
गुड़हल और सफेद कनेर के फूल अर्पित करें
भोग:
मां को रबड़ी, फल और मिठाई का भोग लगाएं। सफेद रंग की वस्तुओं का भोग विशेष रूप से प्रिय होता है
मंत्र जाप:
मां शैलपुत्री का मंत्र:
“ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥”
“या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
कथा
मां शैलपुत्री का जन्म दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के रूप में हुआ था। सती ने भगवान शिव से विवाह किया, लेकिन अपने पिता के यज्ञ में शिव का अपमान देखकर उन्होंने योगाग्नि में आत्मदाह कर लिया। इस घटना के बाद सती हिमालय में शैलपुत्री के रूप में पुनर्जन्म लेती हैं। उनकी पूजा करने से सभी प्रकार के दुख दूर होते हैं और साधक को मनचाहा फल प्राप्त होता है
इस प्रकार, शारदीय नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की आराधना का विशेष अवसर है, जो भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
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