
Enemy Property Law: शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन से कैसे बदलेगा भारत का भविष्य? जानें..
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Enemy Property Law: शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन से कैसे बदलेगा भारत का भविष्य? जानें..
नई दिल्ली: Enemy Property Law: भारत सरकार बजट सत्र में एक विधेयक लाने की तैयारी में है, जिसके माध्यम से 1968 के शत्रु संपत्ति कानून में संशोधन किया जा सकता है। इसके तहत सरकार को शत्रु संपत्तियों का मालिकाना हक अपने पास रखने की शक्ति मिल सकती है। इस कानून के माध्यम से सरकार इन संपत्तियों का उपयोग जनता के हित में कर सकती है।
2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल 12,611 शत्रु संपत्तियां हैं, जिनमें से 12,485 पाकिस्तानी नागरिकों की छोड़ी हुई हैं, जबकि 126 संपत्तियां चीनी नागरिकों की हैं। इन संपत्तियों की कुल कीमत लगभग तीन हजार करोड़ रुपये है, और इन्हें सार्वजनिक कार्यों के लिए उपयोग किया जा सकता है।
Enemy Property Law: शत्रु संपत्ति क्या है?
शत्रु संपत्ति वह संपत्ति होती है, जो किसी देश से संघर्ष या तनाव के दौरान किसी व्यक्ति द्वारा छोड़कर ‘दुश्मन देश’ को चली जाती है। 1968 का शत्रु संपत्ति कानून इस संपत्ति के मालिकाना हक को असल मालिक के पास स्थायी रूप से बनाए रखता है। इस कानून के तहत शत्रु संपत्ति का ट्रांसफर और उत्तराधिकार की कोई संभावना नहीं है। हालांकि, 2017 में इस कानून में संशोधन किया गया था, जिसमें शत्रु संपत्ति और शत्रु संस्थान की परिभाषा को विस्तारित किया गया था।
Enemy Property Law: सरकार की योजना
अब, यदि सरकार नए सिरे से इस कानून में संशोधन करती है, तो कहा जा रहा है कि वह शत्रु संपत्तियों का नियंत्रण अपने पास रखना चाहती है। लखनऊ नगर निगम से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, सरकार इस दिशा में कदम बढ़ा रही है। रिपोर्टों के अनुसार, सरकार सार्वजनिक हित के नाम पर इन संपत्तियों को अपने कब्जे में ले सकती है। पिछले छह सालों में, केंद्र सरकार ने 3,494 करोड़ रुपये की शत्रु संपत्तियों को भुनाया है।
1965 और 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद, सरकार ने पाकिस्तान और चीन की नागरिकता अपनाने वालों की संपत्तियों और व्यवसायों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था। हालांकि, 1962 के भारत रक्षा कानून के तहत शत्रु संपत्तियों के संरक्षण का अधिकार उनके असल मालिकों के पास ही रहा। अब सरकार इन संपत्तियों का मालिकाना हक लेकर देश की आवश्यकताओं के हिसाब से उनका उपयोग करने का विचार कर रही है।
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