AI और रोबोटिक से पढ़ाई कितना कारगर

 AI और रोबोटिक से पढ़ाई कितना कारगर

सीजी बस्तर : बस्तर को नक्सल मुक्त बनाने के लिए जिस प्रकार सरकारी प्रयास कर रही है ..अब राज्य सरकार ने एक कदम ओर आगे बढ़ा दिया है…

बस्तर के 800 स्कूलों में AI और रोबोटिक पढ़ाई से शिक्षा की अलख जगाने जा रही है,,, जिससे न केवल रोजगार के साधन खुलेंगे बल्कि एक जागृति भी आएगी…

नक्सल मुक्त बनाने जो एक डेट लाइन देश के गृह मंत्री अमित शाह ने तय किया है, मार्च की वह तारीखों की जब पूरे प्रदेश से नक्सलवाद का सफाया होगा …

इसी कदम में एक और कदम राज्य सरकार ने चला है ..इसी को लेकर सियासत भी देखने को मिल रही है… देखिए एक रिपोर्ट

प्रदेश में नासूर हो चुके नक्सलवाद् को जड़ से समाप्त करने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने डेट लाइन तय कर दी है ….छत्तीसगढ़ में अमित शाह दौरे पर थे तो कई बैठक भी हुई और नक्सल मुक्त छ्ग के लिए रणनीति बनाई गई..

कहा नक्सलियों को पाताल से भी ढूंढ कर ठिकाने लगा दिया जाएगा… उधर सरकार भी नक्सल् वाद तो खत्म करने शिक्षा और विकास को लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है …..

रोबोटिक पढ़ाई

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में आदिवासी बच्चों को रोबोटिक और AI की पढ़ाई करने की तैयारी में सरकार है …करीब 800 स्कूलों के बच्चे रोबोटिक की पढ़ाई करेंगे और बस्तर जल्दी विकास की नई सौपान लिखेगा …

इधर सरकार एक-एक कर कदम आगे बढ़ा रही है तो वही नक्सली जन अदालत लगाकर खुद ही जज बन रहे हैं… और मुखबिरी के शक पर लोगों को मौत के घाट पर उतार रहे हैं …

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पूर्व मंत्री शिवकुमार डहरिया ने बस्तर में रोबोटिक और पढ़ाई को लेकर निशाना साधते हुए कहा कि पहले बस्तर पर जो स्कूल बंद हुए थे उन्हें चालू करें उसके बाद आधुनिक पढ़ाई की बात करें ….

बहरहाल आधुनिक पढ़ाई के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन के साथ अनुबंध किया है…जिसके पहले दो शैक्षणिक वर्षों में 800 सरकारी स्कूलों में कौशल शिक्षा लागू की जाएगी….

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इस अवधि के दौरान 1,600 शिक्षक कक्षा 6वीं से 10 तक के 40,000 छात्रों को कौशल और जीवन कौशल की शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे…

बता दें कि, साय सरकार नक्सल इलाकों में शिक्षा की नींव को मजबूत करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है…सीएम साय ने आदेश दिया है कि आदिवासी बच्चों को उनकी सांस्कृतिक पहचान बनाए

रखने और शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के लिए प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाए…ऐसे में मातृभाषा जानने वाले स्थानीय शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी…

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