
Dev Diwali 2024 गंगा घाट पर 11000 दीप जला के मनाई गई देव दीपावली
Dev Diwali 2024 : गंगा आरती का भाव माहौल में देव दीपावली का आगाज कालसर्प दोष दूर करने के लिए 11 00 तांबे के सांपों की भी पूजा
आज के दिन महाविष्णु व महालक्ष्मी का पूजन होता है, गणपति की स्थापना की जाती है। इस ऋतु में धान की पैदावार होती है। खील से महाविष्णु, महालक्ष्मी और महागणपति की पूजा और हवन किया जाता है।
पूर्णिमा के दिन कार्तिक दर्शन शुभदायी होता है। पूर्णिमा को ही नागवंश को बचाने वाले व जिनके नाम से सर्प रास्ता छोड़ देते हैं। कई कुलों के देवता आस्तिक महाराज की जयंती भी है।
इसको सार्थक करते हुए विगत वर्षों की तरह इस बार भी दुर्वाषा ऋषि आश्रम घाट पर कैलाश सेवा संस्थान की ओर से महाआरती का आयोजन किया गया।
महा आरती में प्रथम मंगलाचरण, शान्तिपाठ, श्रंगार, संकल्प वैदिक सभ्यता हेतु किया गया। आचार्य प्रदीप नरायन शुक्ल, अभय नरायन, प्रियम, शौर्य बाजपेई, अभय ने बनारस की तर्ज पर शिवताण्डव, गंगालहरी, भजन, गणपति, शिव
गंगा आरती की। काल सर्प दोष मुक्ति के लिए 1100 जोड़ा तांबे के सर्पाें को पूजन के बाद गंगा में प्रवाहित किया गया। 11 हजार घी के दीपों से दीपदान हुआ।आरती में शामिल सभी भक्तों ने मां गंगा का आर्शीवाद लेकर प्रसाद ग्रहण किया।
संस्था अध्यक्ष आचार्य प्रदीप नरायन शुक्ल ने बताया कि संस्था की ओर से वैदिक रीति से विगत 12 वर्षों से आरती की जा रही है। आरती पांच प्रकार से की जाती है। आरती दो घण्टे की होती हैं। आरती में सम्मिलित होने वालों को माँ गंगा
संस्कृत-संस्कृति-गाय तथा स्वच्छता के लिए संकल्प दिलाया जाता है। बताया कि आरती में शामिल होने वाले भक्तों को अनेक प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है। धीरे-धीरे विलुप्त हो रही सनातन संस्कृति को सहेजने के लिए समय
समय पर इस तरह के आयोजन किए जा रहे हैं। विदेशी लोग हमारी संस्कृति को अपना रहे हैं। जबकि भारत इसका जनक रहा है। हमारे यहां पाश्चात्य सभ्यता हावी होती जा रही है। इस अवसर पर सैकड़ों भक्त उपास्थित रहे।