
रायपुर, छत्तीसगढ़: भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को अपनाया गया था, और इस दिन को हर साल ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भारतीय लोकतंत्र की आधारशिला को याद करने और उसकी अहमियत को समझने का है। भारतीय संविधान, जो कि दुनिया के सबसे बड़े और सबसे विस्तृत संविधान में से एक है, स्वतंत्रता, समानता, न्याय, और बंधुत्व के सिद्धांतों को अपने भीतर समाहित करता है। संविधान के निर्माण में डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान को हमेशा याद किया जाता है।
संविधान दिवस 2024: महत्व और उद्देश्य
संविधान दिवस, जिसे ‘संविधान दिवस’ के नाम से भी जाना जाता है, प्रत्येक वर्ष 26 नवम्बर को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा अपनाए जाने का प्रतीक है, जो 1949 में हुआ था। हालांकि भारतीय संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, लेकिन संविधान सभा ने इसे 26 नवम्बर 1949 को अनुमोदित किया था। यह दिन भारतीय नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूकता फैलाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
संविधान के मौलिक सिद्धांत: न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व
संविधान दिवस का मुख्य उद्देश्य भारत के संविधान में निहित चार मुख्य सिद्धांतों—न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व—का सम्मान करना है। इन मूल्यों पर आधारित भारतीय संविधान ने लोकतंत्र की नींव रखी है, जो किसी भी नागरिक को समान अवसर, स्वतंत्रता और न्याय प्रदान करता है।
- न्याय: भारतीय संविधान का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को न्याय दिलाना है, ताकि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी अधिकारों का संरक्षण मिल सके।
- स्वतंत्रता: संविधान के अंतर्गत, भारतीय नागरिकों को स्वतंत्र रूप से अपने विचार, धर्म, और आस्थाओं को व्यक्त करने की स्वतंत्रता है।
- समानता: संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर प्रदान करता है, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
- बंधुत्व: संविधान एकजुटता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है, जो देश की राष्ट्रीय एकता का आधार है।
संविधान का निर्माण: ऐतिहासिक विवरण
भारतीय संविधान का निर्माण एक लंबी और विस्तृत प्रक्रिया थी। संविधान को तैयार करने में 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन का समय लगा था। प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इसे हाथ से लिखा था, और इस प्रक्रिया में कुल 432 निब घिसी गई थीं।
भारत के संविधान को तैयार करने की जिम्मेदारी संविधान सभा पर थी, जिसका अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे। इस सभा में कुल 389 सदस्य थे, जिनमें 292 सदस्य प्रांतों से और 93 सदस्य रियासतों से आए थे। इसके अलावा, संविधान सभा के चार सदस्य मुसलमान थे। संविधान के प्रमुख निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर थे, जिन्हें ‘भारतीय संविधान के पिता’ के रूप में सम्मानित किया जाता है।
संविधान दिवस पर विशेष सम्मान: डॉ. भीमराव अंबेडकर
डॉ. भीमराव अंबेडकर का भारतीय संविधान में अत्यधिक योगदान है। संविधान निर्माण की प्रक्रिया में उनकी भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही, और उन्हें इस कार्य के लिए व्यापक सम्मान मिला। उनका उद्देश्य संविधान के माध्यम से भारत में समानता, सामाजिक न्याय और समावेशी समाज का निर्माण करना था।
संविधान से संबंधित रोचक तथ्य
- संविधान 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन में तैयार हुआ था।
- प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इसे हाथ से लिखा था, और इस प्रक्रिया में 432 निब घिसी गई थीं।
- भारतीय संविधान को तैयार करने में कुल 64 लाख रुपये खर्च हुए थे।
- संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई थी।
- भारतीय संविधान पर सबसे पहले डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने हस्ताक्षर किए थे।
- एनी मैस्करीन भारतीय संविधान पर हस्ताक्षर करने वाली पहली महिला थीं।
- संविधान के पन्नों पर भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण की अयोध्या वापसी की चित्रकारी भी की गई है।
संविधान का प्रभाव: भारतीय लोकतंत्र की नींव
भारतीय संविधान सिर्फ एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र की आत्मा है। भारतीय संविधान के तहत भारत का राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद, न्यायपालिका, और सभी सरकारी संस्थाएं काम करती हैं। यह भारतीय लोकतंत्र की संरचना को निर्धारित करता है, और इसमें दी गई शक्तियों और कर्तव्यों के जरिए लोकतंत्र को सही दिशा मिलती है।
इसके अलावा, भारतीय संविधान ने भारतीय नागरिकों को मौलिक अधिकारों से लेकर विभिन्न प्रकार की सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रताएँ प्रदान की हैं। यह संविधान न केवल एक कानूनी दस्तावेज है, बल्कि यह नागरिकों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों का संरक्षक भी है।
निष्कर्ष: संविधान दिवस 2024 की महत्वपूर्णता
संविधान दिवस भारतीय नागरिकों को संविधान के मूल्यों, अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करने का दिन है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य संविधान की मूल भावना को बनाए रखना है, और इस पर जोर देना है कि यह संविधान ही है, जो भारतीय लोकतंत्र की नींव है।
संविधान दिवस 2024 के मौके पर हमें डॉ. भीमराव अंबेडकर और उन सभी महान नेताओं का सम्मान करना चाहिए जिन्होंने भारतीय संविधान को तैयार करने में अपना योगदान दिया। इस दिन हमें यह भी याद दिलाया जाता है कि संविधान में निहित सिद्धांतों के तहत हम एक सशक्त और समावेशी समाज की ओर बढ़ रहे हैं।
आखिरकार, भारतीय संविधान ने हमें जो अधिकार और कर्तव्य दिए हैं, उनका पालन करना और इन्हें समझना हमारे लिए अनिवार्य है, ताकि हम एक मजबूत और न्यायपूर्ण राष्ट्र की दिशा में आगे बढ़ सकें।
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