Chhattisgarh Raipur News : रायपुर : लोकतंत्र में मर्यादित भाषा को सर्वोच्च माना गया है… सड़क से लेकर सदन तक जब भाषा की मर्यादा टूट जाए तो कीचड़ उछलना लाजमी है… छत्तीसगढ़ में इन दिनों भाषा की मर्यादा को तार तार करते बयान लगातार सुनने को मिल रहे है…
Chhattisgarh Raipur News : नेता प्रतिपक्ष चरणदास मंहत हो या फिर पूर्व मंत्री कवासी लखमा लगातार विवादित बयान देते रहे है… इन सबके बीच अब मंत्री केदार कश्यप ने अमर्यादित शब्दों का प्रयोग कर एक फिर सियासत की लपट को हवा दे दी है.
2024 लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद तमाम प्रत्याशी जमीनी स्तर पर एड़ी चोटी का जोर लगाते नजर आ रहे हैं… जोर लगाए भी क्यों ना पार्टी ने 11 की 11 सीटों पर जीत का दवा जो कर दिया है… लेकिन इस जोर आजमाइश के बीच शब्दों और भाषा के लिहाज को मानो दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने छोड़ दिया है…
कांग्रेस के दिग्गज नेता जहां सर फोड़ना और गोली चलाने की बात कह रहे हैं… तो वही दूसरी तरफ अपने ही बयानों पर सफाई देते भी नजर आ रहे हैं… लेकिन इन सबके बीच बीजेपी के आदिवासी नेता और कैबिनेट मंत्री केदार कश्यप के बयान ने आज पर घी डालने का काम किया है…
कश्यप ने कांग्रेस की तुलना पाकिस्तानी से कर दी है… इतना ही नही सोशल मीडिया पर एक्टिव बिजेपी ने तो कांग्रेस की तुलना कुत्ते से कर दी है…
कश्यप ने इस वीडियो में राहुल गांधी को घेरते हुए कहा अमेठी गांधी परिवार की पुस्तैनी सीट रही है, एक समय था वो कहते थे कि वहाँ से उनका कुत्ता भी खड़े हो जाये तो जीतकर आएगा… आज वहां से राहुल गांधी को भागना पड़ रहा हैं उनकी स्थिति कुत्ते से बत्तर हो चुकी है…
जब बीजेपी कांग्रेस के ऊपर हमलावर हो रही है तो उसका जवाब भी आना वाजिब है पाकिस्तान के साथ-साथ आतंकवादी रोहिंग्या और आई आई एस आई की भाषा बोलने वाले बयान से लेकर स्थिति कुत्तों से बदतर होने की बात पर कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने तीखी प्रतिक्रिया दी हैं और कहा है बीजेपी राजनीतिक आतंकवादी पार्टी बन चुकी है…
विपक्षी लोगों के बारे में अनर्गल टिप्पणी करना बीजेपी का पुराना चरित्र… बीजेपी कौन होती है राष्ट्रभक्ति का सर्टिफिकेट देने वाला… अंग्रेजों की चाटुकारिता करने वाली बीजेपी कांग्रेस को सीख दे रही है…
बीजेपी का चरित्र आतंकी हो चुका हैं.बहरहाल इस तरह की भाषाओं का उपयोग कर राजनीतिक दल क्या बताना चाह रहे है, यह तो वह खुद समझ सकते हैं… लेकिन भाषाओं की मर्यादा को भूल चुके नेता और जिम्मेदार को फायदा कितना मिलेगा ये तो भविष्य ही बताएगा….
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