
Chaitra Navratri 2025 : चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करने की विधि, मंत्र और भोग की पूरी जानकारी...
Chaitra Navratri 2025 : चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा विधि विशेष महत्व रखती है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां चंद्रघंटा का रूप अत्यंत शांत, सौम्य और ममतामयी है, जो अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करती हैं। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्रमा विराजमान है, इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। मां का वाहन सिंह है और वे दस हाथों से विभिन्न अस्त्रों और शस्त्रों से सज्जित हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा से न केवल भौतिक सुख में वृद्धि होती है, बल्कि समाज में आपके प्रभाव में भी वृद्धि होती है। अब जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजा विधि:
मां चंद्रघंटा पूजा विधि
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स्नान और शुद्धता: पूजा करने से पहले सुबह स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
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मां का ध्यान: फिर मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनकी मूर्ति को लाल या पीले कपड़े पर रखें।
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पूजा सामग्री: मां को कुमकुम और अक्षत चढ़ाएं। साथ ही, पूजा के दौरान उनके प्रिय भोग और फूल अर्पित करें।
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मंत्र जाप: पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें, जैसे:
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पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
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या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
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आरती: पूजा के अंत में मां चंद्रघंटा की आरती का पाठ करें।
मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग
मां चंद्रघंटा को विशेष रूप से केसर की खीर बहुत पसंद है। आप लौंग, इलायची, पंचमेवा, और दूध से बनी मिठाइयाँ भी भोग में अर्पित कर सकते हैं। भोग में मिसरी और पेड़े रखना भी शुभ माना जाता है।
मां चंद्रघंटा का मंत्र जाप
- पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता. प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
- या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
- वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्। सिंहारूढा चंद्रघंटा यशस्वनीम्॥
- मणिपुर स्थितां तृतीय दुर्गा त्रिनेत्राम्। रंग, गदा, त्रिशूल,चापचर,पदम् कमण्डलु माला वराभीतकराम्॥
मां चंद्रघंटा की आरती
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम।
पूर्ण कीजो मेरे सभी काम।
चंद्र समान तुम शीतल दाती।
चंद्र तेज किरणों में समाती।
क्रोध को शांत करने वाली।
मीठे बोल सिखाने वाली।
मन की मालक मन भाती हो।
चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।
सुंदर भाव को लाने वाली।
हर संकट मे बचाने वाली।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाएं।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं।
सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।
शीश झुका कहे मन की बाता।
पूर्ण आस करो जगदाता।
कांची पुर स्थान तुम्हारा।
करनाटिका में मान तुम्हारा।
नाम तेरा रटू महारानी।
भक्त की रक्षा करो भवानी।