रायपुर। CG’s12th DGP Arun Deo Gautam : बड़ी खबर महानदी भवन से आ रही है. गृह विभाग ने IPS अफसर अरुण देव गौतम को राज्य का 12 वां DGP नियुक्त किया है।
इसे लेकर बाकायदा गृह विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। 3 फरवरी की शाम 5 बजे DGP अशोक जुनेजा का कार्यकाल पूरा हो गया,जिसके बाद इनकी नियुक्ति की गई है।
CG’s12th DGP Arun Deo Gautam: कौन हैं राज्य के 12 वें डीजीपी
IPS अरुण देव गौतम मध्य्प्रदेश की राजधानी भोपाल में एडिशनल एसपी के तौर पर पदस्थ थे। राजगढ़ के एसपी का प्रभार भी संभाला था। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ बनने के बाद उनका कैडर चेंज हो गया।
छत्तीसगढ़ में वे 6 जिलों के एसपी और दो रेंज के IG भी रह चुके हैं। IPS अरुण देव गौतम गृह सचिव के रूप में भी काम कर चुके हैं। आईपीएस अरुणदेव गौतम बने छत्तीसगढ़ के 12वें डीजीपी, सरकार ने जारी किया आदेश, जानिये उनके बारे में…
DGP Arun Deo Gautam: छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अरुणदेव गौतम का राज्य का नया डीजीपी अपाइंट किया है।
गौतम छत्तीसगढ़ के 12वें पुलिस महानिदेशक होंगे। उनसे पहले 11 डीजीपी रह चुके हैं। मोहन शुक्ला छत्तीसगढ़ के पहले पुलिस प्रमुख थे, जिनका हाल ही में देहावसान हुआ है।
कैसा है उनका व्यवहार
अरुणदेव गौतम मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़़ में डिफरेंट तरह की पोस्टिंग किए हैं। वे भोपाल में एडिशनल एसपी रहे तो राजगढ़ के एसपी भी। छत्तीसगढ़ बनने के बाद उनका कैडर चेंज हो गया।
छत्तीसगढ़ में वे छह जिलों के एसपी और दो रेंज के आईजी रहे। गृह सचिव के रूप में लंबे समय तक पोस्टेड रहने की वजह से उन्हें मंत्रालय की वर्किंग भी बखूबी पता है।
अरुणदेव गौतम काफी सरल और सहज पुलिस अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। लेकिन, पोलिसिंग में उतने ही सख्त भी। सीएसपी, एएसपी और एसपी के दौरान लोगों ने उनकी पोलिसिंग देखी है।
कहाँ हुई थी पहली पोस्टिंग
1992 में आईपीएस की सर्विस ज्वाईन करने के बाद सीएसपी के रूप में उनकी पहली पोस्टिंग बिलासपुर की मिली। ये मध्यप्रदेश के दौर की बात है।
सीएसपी की पोस्टिंग में वे गश्त के मामले में काफी चर्चित हो गए थे। सुबह चार बजे तक जिप्सी गाड़ी में वे खुद शहर के चौक-चौराहों और थानों का चक्कर लगाते रहते थे।
किसान के बेटे हैं हमारे डीजीपी
छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस अरुण देव उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास फतेहपुर जिले के अभयपुर गांव के रहने वाले है। उनका जन्म 2 जुलाई 1967 को हुआ।
वे किसान परिवार से ताल्लुकात रखते हैं। पिता कृषक है। गांव में अच्छी खेतीबाड़ी है। वे पांच भाई और एक बहन हैं। अभयपुर गांव फतेहपुर जिले में जरूर आता है मगर कानपुर से दूरी मात्र 30 किलोमीटर है।
गांव के सरकारी स्कूल में की पढाई
मेधावी छात्र अरुण देव गौतम ने आठवीं तक की स्कूली शिक्षा अपने गांव के ही सरकारी स्कूल से की। फिर आगे की पढ़ाई करने के लिए वे अपने बड़े भाई के पास प्रयागराज आ गए।
उनके भाई वहां वकील थे। गौतम ने दसवीं और बारहवीं उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज इलाहाबाद से पूरी की। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आर्टस लेकर बीए किया। इसके बाद राजनीति शास्त्र में एमए।
यूपीएससी क्लियर करने की ठाना
इलाहाबाद में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के दौरान उनके कई दोस्तों ने यूपीएससी क्लियर कर लिया। इसको देखते गौतम ने ठान लिया कि वे भी देश की सबसे बड़ी इस प्रतियोगी परीक्षा पास करेंगे।
मन में संकल्प लेकर वे जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी नई दिल्ली दाखिला ले लिया। वहां से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय कानून में एमफिल की डिग्री हासिल की। इसके बाद पीएचडी करना प्रारंभ किया।
यूपीएससी परीक्षा में पहली बार असफल रहने के बाद अरुण देव गौतम ने ध्येय की प्राप्ति के लिए पढ़ाई में सब कुछ झोंक दिया। और दूसरी बार मे आईपीएस सलेक्ट हो गए।
सात जिलों के पुलिस अधीक्षक
अरुण देव गौतम यूपीएससी निकालकर 1992 बैच के आईपीएस बने। 12 अक्टूबर 1992 को उन्होंने आईपीएस की सर्विस ज्वाइन की। उन्हें पहले मध्यप्रदेश कैडर एलॉट हुआ था।
प्रशिक्षु आईपीएस के तौर पर उनकी जबलपुर में पोस्टिंग हुई। फिर वे बिलासपुर के सीएसपी बने। बिलासपुर के बाद एसडीओपी कवर्धा और फिर
एडिशनल एसपी भोपाल बने। मध्य प्रदेश पुलिस की 23वीं बटालियन के कमांडेंट भी रहे। एसपी के रूप में पहला जिला उनका राजगढ़ रहा।
छत्तीसगढ़ में छह जिलों के एसपी
वर्ष 2000 में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर अरुण देव गौतम ने छत्तीसगढ़ कैडर चुन लिया। छत्तीसगढ़ में वे कोरिया, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, सरगुजा और बिलासपुर जिले के एसपी रहे।
एसपी के बलिदान के बाद गौतम पर भरोसा
डीआईजी बनने के बाद वे पुलिस हैडक्वाटर, सीआईडी, वित्त और योजना, प्रशासन और मुख्यमंत्री सुरक्षा के महत्वपूर्ण विभागों में पदस्थ रहे। चुनौती पूर्ण जिलों में अरुण देव गौतम को भेजा जाता था।
वर्ष 2009 में राजनांदगांव में नक्सली हमले में 29 पुलिसकर्मियों व पुलिस अधीक्षक के बलिदान होने के बाद अरुण देव गौतम को वहां का एसपी बन कर भेजा गया। जहां उन्होंने नक्सलियों से जमकर लोहा लिया।
बस्तर समेत दो रेंज के रहे आईजी
आईजी के पद पर प्रमोशन होने के बाद छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स के प्रभार में रहे। फिर बिलासपुर रेंज के आईजी बने। झीरम नक्सली हमले में कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं की
मौत के बाद अरुण देव गौतम को बस्तर आईजी बना कर भेजा गया। 25 मई 2013 को झीरम कांड हुआ था। इसके कुछ ही माह बाद नवंबर में विधानसभा चुनाव हुए।
तब सफलतापूर्वक चुनाव करवाने में अरुण देव गौतम की भूमिका रही और वोटिंग प्रतिशत में भी काफी इजाफा हुआ।
गृह सचिव, आईजी रेल, ट्रैफिक, फायर ब्रिगेड
आईपीएस अरुणदेव गौतम रेलवे, प्रशिक्षण, भर्ती और यातायात शाखाओं के प्रभारी पुलिस महानिरीक्षक रहें। लंबे समय तक वे छत्तीसगढ़ के गृह सचिव भी रहे। इसके अलावा उन्हें नगर सेना, अग्निशमन सेवाओं का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
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