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CG News: दुर्ग/बिलासपुर: बिलासपुर हाई कोर्ट ने पत्नी द्वारा पति को बेरोजगार होने का ताना देने को मानसिक क्रूरता मानते हुए पति के पक्ष में तलाक की डिक्री मंजूर की है। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने फैमिली कोर्ट के अक्टूबर 2023 के फैसले को पलटते हुए यह निर्णय सुनाया। फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने पत्नी के व्यवहार को क्रूरता और परित्याग का आधार मानते हुए पति की अपील स्वीकार की।
CG News: भिलाई निवासी अनिल कुमार सोनमणि उर्फ अनिल स्वामी और उनकी पत्नी का विवाह 26 दिसंबर 1996 को हिंदू रीति-रिवाज से हुआ था। उनके दो बच्चे हैं- 19 वर्षीय बेटी और 16 वर्षीय बेटा। शादी के कुछ समय बाद दोनों के बीच विवाद शुरू हो गए। पत्नी ने पीएचडी पूरी करने के बाद प्रिंसिपल की नौकरी शुरू की, जिसके बाद पति का आरोप है कि उसका व्यवहार बदल गया और वह छोटी-छोटी बातों पर विवाद करने लगी। कोरोना काल में कोर्ट बंद होने के कारण पेशे से वकील पति की आय बंद हो गई, जिसके बाद पत्नी ने उन्हें बेरोजगार कहकर ताने देने शुरू किए।
CG News: अगस्त 2020 में एक विवाद के बाद पत्नी अपनी बेटी को लेकर अपनी बहन के पास चली गई। कुछ दिनों बाद वह लौटी, लेकिन 16 सितंबर 2020 को फिर से घर छोड़कर चली गई। उसने एक पत्र छोड़ा, जिसमें लिखा था कि वह अपनी मर्जी से पति और बेटे से सारे रिश्ते तोड़ रही है। पति ने उसे वापस लाने के कई प्रयास किए, लेकिन वह नहीं लौटी। इसके बाद पति ने तलाक के लिए कोर्ट का रुख किया।
CG News: पति ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि पत्नी ने जानबूझकर और बिना किसी कारण के घर छोड़ा, बेटे को उसके पास छोड़कर बेटी को अपने साथ ले गई। घर में रहते हुए पत्नी ने गाली-गलौज, ताने और अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल कर मानसिक क्रूरता की। दुर्ग फैमिली कोर्ट में दायर तलाक की अर्जी को खारिज किए जाने के बाद पति ने हाई कोर्ट में अपील की। समन और अखबार में प्रकाशन के बावजूद पत्नी कोर्ट में पेश नहीं हुई।
CG News: हाई कोर्ट ने पति और गवाहों के बयान, पत्नी के पत्र और दस्तावेजों के आधार पर फैमिली कोर्ट का फैसला निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने बिना किसी वैध कारण के पति को छोड़ा, और उसके व्यवहार से मानसिक क्रूरता साबित होती है। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13(1) के तहत परित्याग और क्रूरता को तलाक का वैधानिक आधार माना गया है। इस आधार पर हाई कोर्ट ने पति की अपील मंजूर कर तलाक की डिक्री जारी की।
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