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CG News : बिलासपुर। नक्सली हमले में घायल एक जवान के सुकमा जिले में स्थानांतरण (ट्रांसफर) पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। आरक्षक दिनेश ओगरे, जिन्हें 2016 में नक्सली हमले में गोली लगी थी और 2018 में हुए एक्सीडेंट में उनके पैर में स्टील रॉड लगी थी, ने अपने ट्रांसफर को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने उनके स्थानांतरण और रिलीविंग आदेश पर स्टे लगाते हुए उन्हें राहत प्रदान की है। दिनेश ओगरे, जो ग्राम नागरदा, जिला सारंगढ़ के निवासी हैं, छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की दूसरी बटालियन में आरक्षक (कॉन्सटेबल) के पद पर तैनात थे।
CG News : हाल ही में उन्हें सकरी, बिलासपुर से एफ कंपनी, सुकमा में स्थानांतरित कर दिया गया था। इस ट्रांसफर के खिलाफ दिनेश ओगरे ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। याचिका में उनके अधिवक्ता अभिषेक पांडेय और स्वाति सराफ ने तर्क दिया कि दिनेश ओगरे 2016 में बीजापुर जिले में नक्सली हमले में गंभीर रूप से घायल हुए थे। उनके सिर में गोली लगी थी और 2018 में हुए एक्सीडेंट के बाद उनके बाएं पैर में स्टील रॉड लगी है, जिससे उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होती है।
CG News : ऐसी स्थिति में उन्हें सुकमा जैसे अति संवेदनशील और नक्सल प्रभावित इलाके में भेजना उनकी जान के लिए खतरनाक हो सकता है। याचिकाकर्ता के वकीलों ने पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी सर्कुलर का भी हवाला दिया, जिसमें नक्सली हमले में घायल जवानों को उनकी शारीरिक क्षमता के अनुसार कार्य दिए जाने और उन्हें अति संवेदनशील इलाकों में न भेजे जाने का प्रावधान है। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए दिनेश ओगरे के सुकमा ट्रांसफर और रिलीविंग आदेश पर रोक लगा दी है।
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