
Caste Census
Caste Census: नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर जाति जनगणना से पहले तीन अहम मांगें उठाई हैं। इनमें 50% आरक्षण सीमा को हटाना, तेलंगाना मॉडल लागू करना और निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू करना शामिल है।
Caste Census: खरगे का पत्र: तुरंत कार्रवाई की जरूरत
खरगे ने लिखा कि 16 अप्रैल 2023 को उन्होंने जाति जनगणना की मांग की थी, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। अब जब सरकार ने इसकी जरूरत स्वीकारी है, तो सभी राजनीतिक दलों से चर्चा कर तेलंगाना मॉडल के आधार पर जल्द कार्रवाई होनी चाहिए।
Caste Census: कांग्रेस की तीन मांगें:
50% आरक्षण सीमा खत्म करना: संविधान संशोधन के जरिए आरक्षण की सीमा को हटाया जाए।
तमिलनाडु मॉडल की तर्ज पर कदम: राज्यों द्वारा पारित आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
निजी संस्थानों में आरक्षण: अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी के लिए निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू हो।
Caste Census: तेलंगाना मॉडल क्यों?
खरगे ने तेलंगाना के जातिगत सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा कि जनगणना की प्रश्नावली सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों को ध्यान में रखकर बननी चाहिए। जाति के आंकड़े न केवल गिनती के लिए, बल्कि हर जाति की प्रगति मापने के लिए सार्वजनिक हों।
Caste Census: निजी संस्थानों में आरक्षण का आधार
खरगे ने संविधान के अनुच्छेद 15(5) का हवाला दिया, जिसे 2006 में लागू किया गया और 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। यह निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान करता है। संसद की स्थायी समिति ने भी 25 मार्च को इसके लिए नया कानून बनाने की सिफारिश की थी।
Caste Census: कांग्रेस का दावा: सरकार ने लिया यू-टर्न
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने खरगे के 5 मई के पत्र को एक्स पर साझा करते हुए कहा कि पीएम ने जाति जनगणना पर अचानक यू-टर्न लिया है। यह पत्र 2 मई को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद लिखा गया।
Caste Census: खरगे का अंतिम संदेश
खरगे ने कहा न कहा, “जाति जनगणना को विभाजनकारी नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक न्याय के लिए जरूरी माना जाना चाहिए।” सरकार की ओर से अभी तक इन मांगों पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है।