Buddha Purnima Special: भारत से विश्व तक कैसे फैला बौद्ध धर्म, जानें इससे जुड़ी 10 अहम बातें
Buddha Purnima Special: नई दिल्ली : बुद्ध पूर्णिमा का पर्व न केवल भगवान बुद्ध की जयंती का प्रतीक है, बल्कि यह दिन उनके जीवन के तीन अहम पड़ावों जन्म, ज्ञान और महापरिनिर्वाण से जुड़ा हुआ है। महात्मा बुद्ध के जीवन और उनके विचारों ने केवल भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के कई देशों को प्रभावित किया है। आइए बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर जानते हैं बौद्ध धर्म की उत्पत्ति से लेकर उसके वैश्विक विस्तार तक की कहानी और इससे जुड़ी 10 प्रमुख बातें।
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भारत की श्रमण परंपरा से निकला बौद्ध धर्म
बौद्ध धर्म की नींव महात्मा बुद्ध द्वारा रखी गई थी, जो भारतीय उपमहाद्वीप की श्रमण परंपरा से उपजा एक दर्शन है। इसका उदय इस्लाम और ईसाई धर्म से भी पहले हुआ और आज यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म बन चुका है। -
लुंबिनी में हुआ महात्मा बुद्ध का जन्म
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी (वर्तमान नेपाल) में हुआ था। उनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। वे शाक्य गणराज्य के राजा शुद्धोधन के पुत्र थे और उनकी मां माया देवी थीं, जिनका निधन सिद्धार्थ के जन्म के सात दिन बाद हो गया था। -
सांसारिक पीड़ा से ज्ञान की ओर
29 वर्ष की उम्र में चार दृश्यों बुढ़ापा, बीमारी, मृत्यु और संन्यासी को देखकर सिद्धार्थ को संसार की पीड़ा का बोध हुआ। इसके बाद उन्होंने राजपाठ छोड़कर तपस्या का मार्ग अपनाया और छह वर्षों की कठोर साधना के बाद 35 वर्ष की आयु में बोधगया में उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ और वे ‘बुद्ध’ कहलाए। -
सारनाथ में दिया पहला उपदेश
ज्ञान प्राप्ति के पश्चात बुद्ध ने पहला उपदेश वाराणसी के पास सारनाथ में दिया। इसके बाद उन्होंने कोशल, कौशांबी, वैशाली और श्रावस्ती जैसे क्षेत्रों में पालि भाषा में अपने उपदेश दिए। -
दुनिया के 14 देश माने जाते हैं बौद्ध राष्ट्र
आज बौद्ध धर्म केवल भारत तक सीमित नहीं है। श्रीलंका, चीन, जापान, कोरिया, थाईलैंड, म्यांमार, भूटान, नेपाल और कंबोडिया जैसे देशों में यह प्रमुख धर्म है। इनमें से लाओस, म्यांमार, भूटान, थाईलैंड, श्रीलंका और कंबोडिया जैसे छह देशों में इसे आधिकारिक धर्म का दर्जा प्राप्त है। -
भारत में बौद्ध धर्म की स्थिति
2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लगभग 84 लाख बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं, जिनमें से अधिकांश लोगों ने धर्मांतरण कर बौद्ध धर्म अपनाया है। भारत में बौद्धों की बड़ी संख्या लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में निवास करती है। -
आत्मा और ईश्वर से परे धर्म
बौद्ध धर्म एक अनीश्वरवादी और अनात्मवादी धर्म है। इसमें न तो परमेश्वर की अवधारणा है और न ही आत्मा की। बुद्ध ने तर्क और अनुभव के आधार पर जीवन की समस्याओं का समाधान बताया। -
पुनर्जन्म और कर्म का सिद्धांत
बौद्ध धर्म पुनर्जन्म में विश्वास करता है और इसे कर्म से जोड़ा जाता है। अच्छे कर्म अच्छे जन्म की ओर ले जाते हैं, जबकि बुरे कर्म पीड़ादायक पुनर्जन्म का कारण बनते हैं। -
चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग
बुद्ध ने जीवन की पीड़ा को चार आर्य सत्यों के माध्यम से समझाया दुःख, दुःख का कारण, दुःख की समाप्ति और दुःख से मुक्ति का मार्ग। इस मुक्ति के लिए उन्होंने अष्टांगिक मार्ग बताया सम्यक दृष्टि, संकल्प, वाणी, कर्म, आजीविका, प्रयास, स्मृति और समाधि। -
बुद्ध धर्म के अनुयायी और संगठन
बौद्ध धर्म में दो प्रकार के अनुयायी होते हैं भिक्षु (संन्यासी) और उपासक (गृहस्थ)। बौद्ध संघ में शामिल होने की प्रक्रिया को ‘उपसंपदा’ कहा जाता है और धर्म का आधार त्रिरत्न बुद्ध, धम्म (धर्म) और संघ (संगठन) हैं।
बुद्ध पूर्णिमा के इस अवसर पर यह स्पष्ट होता है कि बौद्ध धर्म केवल एक धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि एक जीवनशैली और दर्शन है, जिसने शांति, करुणा और आत्मबोध के माध्यम से करोड़ों लोगों को प्रभावित किया है।
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