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निकाय चुनाव को लेकर बीजेपी ने कांग्रेस के खिलाफ जारी किया आरोप पत्र
रायपुर : निकाय चुनाव : 15 बिन्दुओ पर जारी किया आरोप पत्र : कांग्रेस ने 15 साल के शासन में नगर निगम रायपुर में भ्रष्टाचार और लूट के सारे रिकार्ड तोड़ दिए ।
निकाय चुनाव : कोरोना महामारी में भी कांग्रेस भ्रष्टाचार से बाज नहीं आई, लगभग 80 लाख अस्थाई कोविड केयर के सामानों के लिए किराया दिया जबकि उन्हें खरीदा जाता तो भी इतनी राशि नहीं खर्च होती।
शहर में तालाबों के सौंदर्गीकरण के नाम पर भी कांग्रेस के महापौरों ने जमकर लूट मचाई, करोड़ों रुपए में खरीदे गए फव्वारे चंद दिनों में ही बंद पड़ गए, जिसमें बूढ़ा तालाब का ₹5 करोड़ का म्यूजिकल फाउंटेन भी शामिल है, जो केवल 100 दिन ही चला।
तेलीबांधा से वीआईपी रोड तक का सौंदर्याकरण बिना टेंडर के ही पूर्ण कर दिया गया था, जिसे जनता ने वॉल ऑफ करप्शन का नाम भी दिया।
होर्डिंग्स के मामले में भी कांग्रेस की नगर सरकार ने भारी भ्रष्टाचार किया । 27 करोड़ का यह घोटाला यूनिपोल घोटाला के नाम से छाया रहा।
नरैया तालाब के सौंदर्गीकरण में भी फर्जीवाड़ा किया गया। 27 लाख का फर्जी वेतन, 40 लाख का टेंडर घोटाला भी सामने आया। 100 की चीजों को हजारों रुपए में खरीदा गया।
वित्त आयोग से 10 इलेक्ट्रॉनिक बस की खरीदी के लिए 22 करोड रुपए आवंटित किए गए, लेकिन राजधानी में एक भी बस नहीं दौड़ी।
2 साल से बंद पड़ी कंपनियों को बिना जांच और एनओसी के ठेके दिए गए, जिनके जरिए जमकर भ्रष्टाचार हुआ।
शहर के लगभग सभी क्षेत्रों में पार्किंग एवं ट्रैफिक की जमकर अव्यवस्था रही, प्रदूषण से भी लोगों का जीना बेहाल हुआ।
शहर में नालियां जाम रही, साफ सफाई न होने की वजह से लगातार कई इलाकों में मलेरिया, पीलिया जैसी बीमारियां फैलती रही।
व्यावसायिक क्षेत्रों में जाने वाली महिलाओं को टॉयलेट की कमी से जूझना पड़ा।
जनता से अधिक कर की वसूली भी एक पीड़ा देने वाला विषय रहा, कांग्रेस द्वारा मूल कर में ब्याज, पेनॉल्टी इत्यादि जोड़कर जनता को जमकर परेशान किया गया।
संप्रदाय विशेष को संरक्षण के कारण लगातार अपराध होते रहे। सभ्य नागरिकों का जीना मुहाल रहा।
महापौर के रिश्तेदारों का आतंक न केवल आम निवासियों बल्कि पुलिस वालों तक पर चलता रहा।
मतांतरण आदि की घटनायें लगातार होती रही, उसे निगम और तब की प्रदेश कांग्रेस सरकार का प्रश्रय रहा। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद थे कि तिरंगा जलाने, संविधान फाड़ देने की बातें सरेआम की जा रही थी।
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