
Bhopal Breaking News
Bhopal Breaking News : भोपाल : मध्यप्रदेश में इन दिनों भारी बारिश का दौर जारी है। और इसी बीच प्रदेश की मोहन सरकार किसानों के चहरों पर मुस्कान लाने की तैयारी कर रही है। सरकार अब किसानों को दिपावली से पहले बड़ा तोहफा देने जा रही है।
दरसअल, सोयाबीन की फसल आने में अभी महीने भर का वक्त है, किंतु समर्थन मूल्य पर खरीदी को लेकर सरकार की तैयारी पूरी हो गई है। हालांकि विपक्ष का कहना है कि इस बार भी सोयाबीन के दाम काफी कम हैं।
कांग्रेस ने सोयाबीन का समर्थन मूल्य छह हजार रुपए करने की मांग की है। पार्टी का कहना है कि किसानों को सोयाबीन की लागत भी नहीं मिल पा रहा है। एक बीघा में दो से तीन क्विंटल सोयाबीन की पैदावार होती है।
कृषि मंडी पहुंचने तक सोयाबीन की लागत प्रति क्विंटल 4200 रुपए हो जाती है। मंडी में किसानों की फसल सोयाबीन का भाव 3500 रुपए प्रति क्विंटल लगाया जाता है। ऐसे में किसानों को काफी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP पर सोयाबीन की खरीदी की घोषणा के बाद भी किसान खुश नहीं है। किसान अब भी 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल की अपनी मांग पर अड़ा है।
वहीं सरकार कुल उत्पादन का सिर्फ 40 फीसदी ही सोयाबीन खरीदने की तैयारी में है। इससे किसान की नाराजगी और बढ़ गई है। प्रदेश में 68.36 लाख मेट्रिक टन से अधिक उत्पादन होने की संभावना है।
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इसमें से समर्थन मूल्य पर 40 प्रतिशत यानी 27.34 लाख मेट्रिक टन सोयाबीन खरीदने की तैयारी है। एक हेक्टेयर पर मान लीजिए करीब 10 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता है।
सरकार सिर्फ किसान से 4 क्विंटल ही सोयाबीन खरीदेगी। यानी सरकार को बेचने पर किसान को 19568 रुपये मिलेंगे। बची 6 क्विंटल सोयाबीन किसान को मार्केट रेट पर बेचना होगा।
4 हजार के रेट के हिसाब 24 हजार रुपये किसान को मिलेंगे। यानी पूरी 10 क्विंटल सोयाबीन बेचने पर किसान को 43568 रुपये मिलेंगे। जबकि यदि 10 क्विंटल सोयाबीन ही MSP पर खरीदी गई
होती तो किसान को 48920 रुपये मिलते। मतलब 40 फीसदी सोयाबीन खरीदने पर 1 हेक्टयेर पर ही किसान को 5352 रुपये का नुकसान हो जाएगा। वह इस मामले को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर भी जारी है
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इस मामले में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राज्य सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा है जिस पर हमने अपनी सहमति दे दी है।
वही पूर्व विधायक और AICC के राष्ट्रीय सचिव कुणाल चौधरी ने सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया है।
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