
बिलासपुर। गणेश का बस्तरिहा अवतार कभी आपने देखा है क्या ? नहीं न ? हमने भी कभी नहीं देखा। गणेश को ऋध्दि-सिध्दि माता के साथ बस्तरिहा अवतार में देखना हो तो आपको बिलासपुर जाना पड़ेगा। शहर के मन्नू चैक के करीब बने एक पंडाल में ये दिव्य मूर्ति विराजित की गई है।
गणेश का बस्तरिहा अवतार: क्या होता है जानें
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये गणेश का बस्तरिहा अवतार क्या होता है ? आपका सवाल भी सौ फीसदी जायज है। ऐसे में हम आपको बता दें कि बस्तरिहा अवतार का मतलब होता है भगवान गणेश जी बिल्कुल बस्तर के आदिवासियों की मुद्र में मांदर हाथ मे लिए सिर पर खुमरी लगाए माता ऋध्दि-सिध्दि के साथ नृत्य कर रहे हैं। उनके पैरों के नीचे बस्तर का प्रसिध्द वाद्य यंत्र अक्कूम यानि एक प्रकार की गनमेटल की बनी हुई टेढ़ी सी बांसुरी पड़ी हुई दिखाई दे रही है। इन सारी खूबियों से लैस भगवान गणेश जी को लैस किया गया हैं। तभी तो लोग इसको गणेश का बस्तरिहा अवतार कहा जा रहा है। आदिवासी युवतियों की वेशभूषा में सजी हुई मां ऋध्दि-सिध्दि को भी लोग खूब पसंद कर रहे हैं।
कहां बनी है गणेश के बस्तरिहा अवतार वाली मूर्ति
गणेश पूजा आयोजन समिति के जानकार सू़़त्रों ने बताया कि ये मूर्ति प्रदेश की राजधानी रायपुर से बनवा कर लाई गई है। वैसे भी गणेश भगवान की मूर्तियों का केंद्र बिन्दु रायपुर को माना जाता है। इसके अलावा मां दुर्गा की मूर्तियों को भी रायपुर के ही माना में बनाया जाता है। इन मूर्तियों के कलाकार कोलकाता या फिर बांग्लादेशी हैं। इनकी मूर्तियों की फिनिशिंग देखते ही बनती है।
सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया
भगवान विध्न विनाशक की इस मूर्ति की खासियत है कि इसको छत्तीसगढ़िया अंदाज में बनाया गया है। तभी तो यहां आने वाले लोग भी जोश में लगातार नारा लगा रहे हैं कि सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया। आलम ये है कि बड़ी तादाद में लोग इस मूर्ति को देखने आ रहे हैं। लोगों को गणेश का बस्तरिहा अवतार खूब भा रहा है।
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