
Atal Bihari Vajpayee : मेट्रो यात्रा की शुरुआत और कनॉट प्लेस की अनमोल यादें...
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके विनम्र स्वभाव, अद्भुत नेतृत्व क्षमता और बहुआयामी व्यक्तित्व के लिए हमेशा याद किया जाएगा। तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रह चुके वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था और उन
का निधन अगस्त 2018 में हुआ। आज उनकी 100वीं जयंती के मौके पर उनकी जिंदगी के कुछ अनछुए पहलुओं पर नजर डालते हैं।
दिल्ली मेट्रो: अटल जी की एक ऐतिहासिक याद
दिसंबर 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली मेट्रो के पहले कॉरिडोर का उद्घाटन किया था। यह रेड लाइन का तीस हजारी से शाहदरा तक 8.2 किलोमीटर लंबा खंड था। यह दिन खास था क्योंकि उद्घाटन के अगले दिन, 25 दिसंबर 2002 को वाजपेयी का 78वां जन्मदिन भी था।
दिल्ली मेट्रो के उद्घाटन के बाद जब इसे आम लोगों के लिए खोला गया, तो यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। स्टेशन पर टोकन और स्मार्ट कार्ड के साथ-साथ कागज के टिकट भी जारी करने पड़े। लोगों की जिज्ञासा इतनी ज्यादा थी कि बड़ी संख्या में लोग मेट्रो की सवारी करने के लिए स्टेशन पहुंचे, भले ही उन्हें यात्रा की जरूरत न हो।
स्मार्ट कार्ड खरीदने का वाजपेयी का अनोखा अंदाज
अटल बिहारी वाजपेयी ने मेट्रो उद्घाटन के दौरान स्टेशन के काउंटर से खुद लाइन में लगकर स्मार्ट कार्ड खरीदा। यह उनके विनम्र व्यक्तित्व और आम जनता से जुड़े होने का एक अद्भुत उदाहरण था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और देश के प्रधानमंत्री होने के बावजूद उन्होंने किसी विशेष सुविधा का उपयोग नहीं किया।
कनॉट प्लेस के गोलगप्पों का प्यार
अटल बिहारी वाजपेयी दिल्ली के हर हिस्से से परिचित थे और कनॉट प्लेस उनकी खास पसंदीदा जगहों में से एक थी। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि 1950 के दशक में वह और अटल जी अक्सर स्कूटर पर कनॉट प्लेस जाते थे। वहां वे रीगली और रिवोली थिएटर में फिल्म देखते और उसके बाद चाट और गोलगप्पों का आनंद लेते।
आडवाणी ने बताया कि वाजपेयी को गोलगप्पे बेहद पसंद थे, जबकि उन्हें चाट खाना ज्यादा पसंद था। यह दोनों नेताओं की सादगी और आम जिंदगी के पलों को खुलकर जीने का एक बेहतरीन उदाहरण है।
सर्वोच्च सम्मान और यादें
अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। उनकी हाजिरजवाबी और राजनीतिक कुशलता के कायल विपक्षी भी थे। आज उनकी 100वीं जयंती पर, उनकी सादगी, नेतृत्व और भारत के प्रति उनके योगदान को याद करते हुए, यह कहना गलत नहीं होगा कि वह केवल एक नेता ही नहीं, बल्कि एक प्रेरणा थे।
उनके द्वारा शुरू की गई दिल्ली मेट्रो परियोजना ने भारत की परिवहन व्यवस्था में क्रांति ला दी और उनका जीवन हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा बना रहेगा।