
Asian News Special Program
Asian News Special Program
महिलाओं, बच्चों के लिए नया कानून कितना असरकार
आईटीएम यूनिवर्सिटी में संतुलन का समीकरण का आयोजन
“नया कानून, नई चुनौती, नई उम्मीद” विषय पर परिचर्चा
लॉ के विशेषज्ञ, प्रोफेसर्स और स्टूडेंट्स ने रखी राय
Asian News Special Program : रायपुर। भारत में 1 जुलाई से नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं। अंग्रेजों के जमाने के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम अब समाप्त हो गए हैं। अब इनकी जगह भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ले ली है। आपको बता दें कि इन कानूनों से जुड़े विधेयक को बीते साल संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से पास करवाया गया था। इस कानून के लागू होने के बाद से कई धाराएं और सजा के प्रावधान आदि में बदलाव आया है।
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Asian News Special Program : नये कानूनों की प्रक्रिया में आवश्यकतानुसार व्यापक परिवर्तन किया गया है, जिससे पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाया जा सके। ऐसा करने से न्याय प्रणाली में आम जनता का विश्वास और मजबूत होगा। देखा जाए तो इन कानूनों के लागू होने के बाद जो सबसे अहम बदलाव आ रहे हैं उनमें ‘जीरो एफआईआर’ है। इसके तहत अब कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज करा सकता है, भले ही अपराध उस थान क्षेत्र में नहीं हुआ हो।
नये कानून में जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है। इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा। कानून में जो बदलाव हुए हैं उसके तहत जहां भारतीय दंड संहिता, 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता, 2023, दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 को नये सिरे से नये कलेवर में प्रस्तुत किया गया है।
नये कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर आएगा और पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाएंगे। दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कोई महिला पुलिस अधिकारी उसके अभिभावक या रिश्तेदार की मौजूदगी में दर्ज करेगी और मेडिकल रिपोर्ट सात दिन के भीतर देनी होगी।
कानूनों में संगठित अपराधों और आतंकवाद के कृत्यों को परिभाषित किया गया है, राजद्रोह की जगह देशद्रोह लाया गया है।
इसके अलावा सभी जघन्य अपराधों के वारदात स्थल की अनिवार्य वीडियोग्राफी जैसे प्रावधान शामिल किए गए हैं। इसके अलावा मॉब लिंचिंग के मामले में फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है।
एशियन न्यूज के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि नया कानून लागू तो हो गया है लेकिन अब ऐसे में सवाल उठता है कि नए कानूनों में क्या है खास? नया कानून को लागू करना कितना मुश्किल है? नया कानून पहले से कितना सख्त हुआ है? इससे समाज में कब तक सुधार होगा? जज के लिए कितना चुनौती ?
पुलिस की जावाबदेही कितनी बढ़ी? इन्हीं सब सवालों को जानने के लिए इस बार एशियन न्यूज के खास कार्यक्रम संतुलन का समीकरण में “नया कानून, नई चुनौती, नई उम्मीद” विषय पर नया रायपुर स्थित आईटीएम यूनिवर्सिटी में परिचर्चा का आयोजन किया गया। जहां लॉ से जुड़े विशेषज्ञ, प्रोफेसर्स और स्टूडेंट्स ने अपनी राय रखी।
आईटीएम के डायरेक्टर जनरल मिसेज लक्ष्मी मूर्ति ने कहा कि नया कानून लागू होने के बाद सभी में असमंजस की स्थिति है ऐसे में इस विषय पर चर्चा करना हमारे लिए बहुत सारगर्भित है। इससे छात्रों और शिक्षकों को बहुत कुछ समझने को मिला। क्योंकि हम शैक्षणिक संस्थान से जुड़े हैं इसे अपने कोर्स भी भी शामिल करेंगे तो हम सभी को इसको अपने जीवन में उतारना होगा। उन्होंने कहा कि हम
इस मुगालते में रहते हैं कि जब तक कोई चीज हमारे दरवाजे तक नहीं आएगी या विपत्ति हमारे पर नहीं पड़ेगी तब तक हम आवाज नहीं उठाएंगे, लेकिन हम शैक्षणिक संस्थान चलाते हैं ऐसा हम नहीं कर सकते हैं क्योंकि किसी भी कानून या फिर कोई नई चीज को जानना और छात्रों को बताना हमारी प्राथमिकता है।
डॉ प्रशांत राहंगडाले ने कहा कि नया कानून नई चुनौतियां जैसा की विषय से साफ हो जाता है कि यह बहुत बड़ी चुनौती है वर्तमान में साइबर फ्रॉड को हैंडल करने में बहुत परेशानी होती है। क्योंकि कि हमारे पास प्रशिक्षित पुलिस स्टाफ उपलब्ध नहीं है जो कि साइबर क्राइम को डील करें या इन चुनौतियों को डील कर सके। एक नागरिक होने के नाते हमे भी सजग होना पड़ेगा। फ्रॉड जैसे मामले में उसका रिपोर्ट तुरंत करवाना चाहिए।
आईटीएम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जलिस सुब्हान ने कहा कि हम जब नए कानून की बात करते हैं कि कोई नया कानून आ गया या कोई बदलाव हो रहा है, तो हमें सबसे पहले पुराने कानून को समझने की जरूरत है कि पुराना कानून क्या था और अब नया क्या हो रहा है क्योंकि पुराने और नए कानून को लाने मैं शिक्षण संस्थानों की अहम भूमिका रही है उन्होंने कहा कि इस नए कानून में जो बहुत
विस्तारित पहले थी उसको समेट कर नया रूप दिया गया है इसमें बहुत साफ और संक्षेप में कानून में लाया गया है और इस एक्ट में वर्ड टू वर्ड लाया गया है। नये कानून में जुड़ा एक दिलचस्प पहलू यह भी है कि गिरफ्तारी की सूरत में व्यक्ति को अपनी पसंद के किसी व्यक्ति को अपनी स्थिति के बारे में सूचित करने का अधिकार दिया गया है।
इससे गिरफ्तार व्यक्ति को तुरंत सहयोग मिल सकेगा।लॉ की छात्रा आकांक्षा ने कहा कि कानून का गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। बहुत सी ऐसे महिलाएं हैं कि जो बिना वजह की फॉल्स केस भी करते हैं उन्होंने कहा कि मैं जब प्रैक्टिस कर रही थी तो ऐसे की हमारे सामने ऐसे मामले सामने आ चुके हैं।
नया कानून कितना असरदार
एचएनएलयू के एसिटेंट प्रोफेसर अभिनव शुक्ला ने कहा आजादी के बाद यह पहला ऐसा मौका है जब भारत ने अपनी कोई कानून बनाया गया हो और उसका इतने व्यापक स्तर पर लागू किया गया है। नए कानून की बदलाव के साथ-साथ इंपैक्ट की बात करता हैं जो सिटीजन या सिस्टम पर लागू हुआ है यह एक महत्वपूर्ण विषय के साथ-साथ परिचर्चा का विषय भी है
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क्योंकि भारत का संविधान पहले भी बना था और बड़े पैमाने पर इसे लागू किया गया था दूसरी बार यह मौका है जब नए कानून को इस व्यापक स्तर पर लागू किया गया है। अगर हम इन तीन कानून को देखें और इसको समझे तो क्या नए कानून में समाज, सिस्टम, पुलिस, न्याय शास्त्र और न्याय प्रणाली से संतुलन बनाने का प्रयास किया गया है कौन से ऐसे कारण थे
जिसके चलते इतनी व्यापक स्तर पर यह नए कानून को नए स्तर से नए रूप से लाने की जरूरत पड़ी। सबसे पहले हम देखते हैं कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण परिवर्तन है जब संविधान बनाया गया था उसमें लगभग 50% आर्टिकल और धाराएं हमारे संविधान में लिए गए हैं इसमें से लगभग गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट 1935 से लिए थे हैं। जो कि अंग्रेजों ने बनाया था और लागू करते समय उसे हमने अपने तरीके से बनाया। उसमें यह कोशिश की गई
कि जिस तरीके से प्रताड़ना उस समय सोसाइटी में हुआ करती थी वह सब न हों, लेकिन इसमें यह भी ध्यान दिया गया कि जो सिस्टम पहले से चल रहा है वह डिस्टर्ब ना हो इस प्रकार से आज जब तीनों कानों को लाया गया है तो हम यह कह सकते हैं कि 80 से 85% चीज यथावत है वैसे ही हैं, केवल उनके सेक्शन और धाराएं बदल गई है और कुछ ऐसे धाराएं और प्रक्रियाएं जोड़ी गई है जिससे आसानी हो ।इस कानून के तहत जो अपराधी है और जो न्याय मांगने वाला है उन दोनों की बात सुनी जाएगी और उनको कह मिलेगा। ।
नए कानून से आम लोगों को मिलेगा इंसाफ
एसिस्टेंट प्रोफेसर हिना इलियास ने कहा कि पुराने कानून की बात करें तो उसके तहत 30 जून तक अपराध दर्ज हुए हैं उसके बाद 1 जुलाई के बाद नए कानून के तहत मामले दर्ज हो रहे हैं… भारतीय न्याय संहिता में क्षेत्र 69 नया जोड़ा गया है इस पार्टिकुलर प्रावधान में यह है कि कोई भी व्यक्ति किसी के साथ धोखाधड़ी या बहला फुसलाकर के रिलेशन शिप बनाता है तो इसके अंदर उसे सजा
दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई मामला 30 जून से पहले हुआ है तो वह पुराने कानून के तहत मामले दर्ज होंगे। लेकिन 1 जुलाई के बाद किसी तरीके के मामले हुए हैं तो सेक्सन 69 के तहत मामला दर्ज होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग ऐसे सोच रहे हैं कि देश में नए कानून तो बन रहे हैं लेकिन उसका कुछ फायदा नहीं हो रहा है। लेकिन मेरा मानना है कि इसका कई फायदे हैं।इस कानून के तहत आम लोगों को जल्दी न्याय मिलेगा।
उन्होंने कहा कि अगर माइनर की बात करें तो जो 18 साल से कम के होते हैं जिसको बहलाया फुसलाया जा सकता है ऐसे सिचवेशन में कोशिश कि कुछ लॉ ऐसे हों जो कि एक बच्चों को हार्ड एंड क्रिमिनल बनाने के बजाय उसको एक मौका दें जिसमें वह खुद में परिवर्तन कर सके खुद में झांक सके और यह देख सके की जो उसने किया है वह सही किया है या गलत किया है। ताकि वह फिर से समाज में वापस आ सके।
नया कानून को समझे और इंप्लीमेंट करने में होगी परेशानी
लॉ के जानकार जैद अली ने कहा की नई कानून आने के बाद वकीलों और जजों पर दबाव पड़ेगा। क्योंकि एक चुनौती यह है कि नया कानून को समझना। दूसरा यह कि पहले से जजों की कमी है। नये कानूनों के तहत आपराधिक मामलों में फैसला मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर करना है पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोप तय किए जाने है अब ऐसे में जज पर विशेष भर पड़ेगा। इससे परेशानी भी बढ़ेगी।
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