
Asian News Special Program
Asian News Special Program
0एशियन न्यूज़ का खास कार्यक्रम संतुलन का समीकरण का आयोजन
0 प्राइवेट और सरकारी स्कूल के बीच की खाई कैसे होगी कम विषय पर परिचर्चा का आयोजन
0 आंचलिक क्षेत्रों में भाषा है सबसे बड़ी चुनौती
Asian News Special Program : रायपुर। देश, प्रदेश और समाज में परिवर्तन लाने के लिए शिक्षा सबसे जरूरी है। शिक्षा हमें ज्ञान और कौशल प्रदान करती है जो हमें अपने जीवन में सफल होने में मदद करती हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य किसी इंसान के लिए मूलभूत सुविधाओं में एक है
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Asian News Special Program : वर्तमान समय में शिक्षा के बिना अच्छे और सभ्य समाज की कल्पना कर पाना मुश्किल है। लेकिन वर्तमान समय शिक्षा का भी व्यवसाई करण हो गया है। एक और जहां मुफ्त में सरकारी स्कूलों में शिक्षा दी जा रही है। वहीं प्राइवेट स्कूलों में मोटी रकम देकर लोग शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
लेकिन आज भी सरकारी स्कूलों में देश के 60 प्रतिशत बच्चे पढ़ते हैं। यहां मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान न दिए जाने के कारण इन स्कूलों की साख और स्वीकार्यता लगातार घटी है। लिहाजा निजी स्कूलों की तरफ लगातार जा रहे हैं।
एशियन न्यूज़ के खास कार्यक्रम संतुलन का समीकरण में शुक्रवार को “प्राइवेट और सरकारी स्कूल के बीच की खाई कैसे होगी कम” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया।
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जहां विभिन्न के लोगों ने जैसे शिक्षाविद्, करियर काउंसलर, शिक्षक, सहायक शिक्षक, पालक संघ, पालक, और प्राइवेट स्कूल संगठन के नुमाइंदों ने भी अपनी बात प्रमुखता से रखी।
इस अवसर पर एशियन न्यूज के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि “प्राइवेट और सरकारी स्कूल के बीच की खाई कैसे होगी कम” यह विषय एक गंभीर विषय है। उन्होंने कहा कि शिक्षा हमारी बुनियादी अधिकार है
लेकिन कहीं ना कहीं जिस तरीके से हम डेवलप होते हैं या हमारा निर्माण होता है उसमें शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है लेकिन समय समय पर शिक्षा प्रणाली, नीति और व्यवस्था में भी बदलाव देखने को मिलती है। सरकार अपने अनुसार भी शिक्षा की नीति में बदलाव करती है
एक समय था जब सरकार ने प्रदेश भर में प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देने के लिए आत्मानंद स्कूल खोला और यह कहा कि जो लोग प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ पाते हैं वह आत्मानंद स्कूल में अंग्रेजी पढ़ा पाएंगे।
और हुआ ऐसा ही आत्मानंद स्कूल में प्रवेश पाने के लिए होड़ मच गई और प्रदेश भर में कई आत्मानंद स्कूल खोले गए। लेकिन यहां सवाल यह उठता है की कुछ आत्मानंद स्कूल खोल देने से सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूलों के बीच की खाई कम हुई है।
प्रदेश के जाने माने शिक्षाविद् जवाहर सूरी सेट्टी ने कहा कि पहली बात तो यह कहना की प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के बीच बहुत खाई बढ़ी है यह सही नहीं है उदाहरण के तौर पर केंद्रीय विद्यालय शासकीय हैं उसके रिजल्ट बहुत अच्छे आते हैं
आई आई एम और आईआईटी भी शासकीय हैं उसकी गुणवत्ता किसी भी प्राइवेट संस्थान से कम नहीं है इसके अलावा अगर छत्तीसगढ़ में देखें तो इस बार आत्मानंद स्कूल के रिजल्ट बहुत अच्छे रहे हैं और 10 में से 8 आत्मानंद स्कूल के बच्चे हैं
तो कहीं ना कहीं यह खाई पट रही है पर इसका कारण यह भी हो सकता है कि भीड़ बढ़ रही है लेकिन इसमें ऐसे लोग भी हैं जो प्राइवेट स्कूल से आत्मानंद स्कूल में आ रहे हैं दूसरी बात सरकारी स्कूलों के बीच बंटी स्कूली शिक्षा को एक जैसा स्वरूप देने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने सभी
राज्यों को एक गाइड लाइन तैयार करने के निर्देश दिए थे एक कक्षा और एक पाठ्यक्रम के मद्देनजर निजी और सरकारी स्कूलों के बीच बंटी स्कूली शिक्षा को एक जैसा स्वरूप देने की पहल गई थी
इसमें निजी और सरकारी स्कूल को एक साथ मिलकर स्कूली शिक्षा को नई ऊंचाई देने की बात कही है थी। इसके तहत वह एक दूसरे की सभी अच्छी पहलकदमियों को अपनाने की बात कही गई थी
साथ ही एक दूसरे के संसाधनों का भी इस्तेमाल करने की बात कही गई थी लेकिन यह कितना कारगर हुआ ये।सभी जानते हैं।
क्या है एक कक्षा और एक पाठ्यक्रम
नई पहल के तहत प्रत्येक निजी स्कूल को अपने आसपास के कम से कम एक सरकारी स्कूल के साथ जुड़ाव रखना था। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूती देने के साथ निजी एवं सरकारी स्कूलों के बीच की खाई को पाटने के लिए शिक्षा मंत्रालय ने यह कदम उठाया है।
इसके तहत सभी राज्यों को इस संबंध में एक गाइड लाइन तैयार करने के भी निर्देश दिए गए थे लेकिन इसका ज्यादा फायदा अभी दिख नहीं रहा है।
करियर काउंसलर वर्षा जी ने कहा कि जहां तक बात सरकारी और प्राइवेट स्कूल के बीच खाई की है तो इसमें अब आत्मानंद और सरकारी स्कूल के बीच भी खाई बढ़ गई है
अब लोग यह भी पूछते हैं कि सरकारी स्कूल की हो आत्मानंद स्कूल के। वहीं उन्होंने कहा कि जहां तक बात है सरकारी और प्राइवेट स्कूल के तो अगर इंफ्रास्ट्रक्चर को देखें तो सरकारी स्कूल की अपेक्षा प्राइवेट स्कूलों की इंफ्रास्ट्रक्चर सही होते हैं लेकिन अगर शिक्षक की बात की जाए
तो सरकारी स्कूल के शिक्षक वह ज्यादा सही होते हैं क्योंकि उनके चेन प्रक्रिया एक मानक के तहत होता है लेकिन मेरा मानना है कि यह संतुलन तब बनेगा जब सरकारी स्कूलों के लिए जो अधिकारी योजना बनाते हैं
वह अधिकारी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में ना भेज कर सरकारी स्कूलों में भेजने लगेंगे तब जाकर यह खाई पटेगा।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन संघ के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने कहा कि सरकारी या प्राइवेट स्कूलों का जो संतुलन है इसमें फर्क यह है
कि प्राइवेट स्कूल के प्रबंधक या ऑनर हैं वह पूरा के पूरा समय अपने स्कूलों पर देते हैं और उनको चिंता रहती है कि हमारा स्कूल और बच्चों के रिजल्ट कैसे बेहतर हो और दूसरी तरफ अगर देखे तो जो सरकारी स्कूल है उसमें किस तरीके से छात्रों को पढ़ाया जाता है।
वही बार-बार जिक्र आत्मानंद स्कूल की होती है। इसमें कोई संदेह है कि यह सरकार की अच्छी योजना थी लेकिन एक ओर बड़ी खाई बना दी गई। क्योंकि पहले जो वर्क थी दो थे वह थे
प्राइवेट स्कूल और सरकारी स्कूल लेकिन अब तीसरा वर्ग आ गया वह आत्मानंद स्कूल यह योजना एक प्रभावशाली खोजना नहीं थी क्योंकि पूरे छत्तीसगढ़ में 54 हजार स्कूल हैं जहां 40 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं।
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वहीं नौ हजार निजी स्कूलों की संख्या है। जिसमें 16 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं अब 54 हजार स्कूलों में कुछ स्कूल खोल के यह ढिन्होरा पीटना कि हमने बहुत अच्छा काम किया है तो यह बहुत अच्छी योजना नहीं थी।
वहीं सहायक शिक्षक बसंत कौशिक ने कहा कि मैं इस जगह से हूं जहां की आधी आबादी पंक्षी पकड़ने वालों की है जहां ना तो बच्चे पढ़ने में रुचि दिखाते हैं और ना ही पालक क्योंकि यहां एक भी पलक पढ़ा हुआ नहीं है। ऐसे जगहों पर शिक्षा देना बहुत मुश्किल है।
वहीं शासकीय स्कूलों में मानव संसाधन की बहुत कमी है इंफ्रास्ट्रक्चर तो मिल जाता है लेकिन मानव संसाधन बहुत कम है कई बच्चे पर टीचर होता है।
राजकुमार कालेज के अंग्रेजी के शिक्षक संजय मिश्रा ने कहा कि शिक्षा सभी के लिए आवश्यक है। मैं जहां से हूं वह प्रदेश भर के बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं और हमारी कोशिश रहती है की इसे आगे बढ़ाएं।
कामिनी साहू ने कहा सरकारी स्कूल और प्राइवेट स्कूल के बीच का जो खाई है वो दूर करना होगा लोग ज्यादातर तवज्जो प्राइवेट स्कूलों को देते हैं लेकिन सरकारी स्कूल के बच्चे किसी से काम नहीं है
आज सरकारी स्कूल के बच्चे अच्छे रिजल्ट दे रहे हैं और प्रदेश में टॉप भी कर रहे हैं हम लोग उसी में एक हैं जो आज सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं जरूरत है सरकारी स्कूल के संसाधन और मानव संसाधन में इजाफा करने की ताकि हम प्राइवेट स्कूलों को टक्कर दे सके।
नई शिक्षा नीति और नवाचार से बदल सकता है जिंदगी
सहायक शिक्षक अक्षय जैन ने कहा कि अनिमेष गोशवामी, कांकेर में सहायक शिक्षक है उन्होंने कहा कि अपने जीवन में जो नहीं देखा वह एक सरकारी स्कूल में देखने को मिला।
मैं प्राइवेट स्कूल में पढ़ा हूं लेकिन आज जब मैं सरकारी स्कूल में पढ़ा रहा हूं तो पता चल रहा है कि किस तरह से कम संसाधन में लोग अच्छा पढ़ाई कर रहे हैं।
वहीं अन्य शिक्षक ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा देना और पढ़ाई करवाना बहुत मुश्किल है क्योंकि वहां पेरेंट्स कम पढ़े लिखे हैं दूसरी बात यह है कि वहां एटमॉस्फेयर ऐसा नहीं है
जो पढ़ाई के लायक हो इसके पावर सूट भी सरकारी स्कूल के बच्चे अच्छा पढ़ाई कर रहे हैं वही उनके अंदर कई क्षेत्र में जाने के काबिलियत रखते हैं लेकिन जरूरत है उनका परखने की और उन्हें आगे बढ़ाने की।
बच्चो को खेल खेल में और कई अन्य माध्यम से माध्यम पढ़ाई करवा रहे हैं।
वर्तमान समय में सबसे बड़ी दुविधा यह है कि सरकारी स्कूल को आत्म स्कूल और कुछ स्कूलों को ऐसे ही छोड़ दिया गया वहीं अगर बात करें जो सुदूर क्षेत्र के स्कूल हैं वहां किसी शास्त्र काफी नियम है क्योंकि ज्यादातर ध्यान नहीं दिया जा रहा है
वह शिक्षकों को वहां शिक्षा देने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में छात्रों के पालक कम पढ़े-लिखे होते हैं और जागरूकता की कमी भी होती है जिससे वह नियमित रूप से अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाते हैं तो शिक्षक को सबसे बड़ी चैलेंजिंग यह हो जाती है कि छात्रों की उपस्थिति कैसे बना रहे।