
Train Accident
Train Accident : बिलासपुर : बिलासपुर मानसून के सक्रिय होने और हादसों के बीच ट्रेनों के सुरक्षित परिचालन की रेलवे के सामने बड़ी चुनौती है। खास तौर पर वहां जहां भौगोलिक परिस्थितियां विपरीत हैं।
जहां रेलवे लाइन बड़े नदी नालों के ऊपर से होकर गुजरे हैं। बारिश के साथ रेलवे इसे लेकर अलर्ट पर है। SECR में खास तौर पर इसके लिए रेलवे हाई रिस्क वाले ब्रिज पर न्यू टेक्नोलॉजी के ऑटोमेटिक वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम
लगा रहा है। जो पुल का जलस्तर डेंजर लेवल पर आते ही सीधे रेलवे को अलर्ट करेंगे। इससे समय रहते ट्रेनों को नियंत्रित किया जा सकेगा और मानसून में रेल परिचालन में आने वाली बाधा और दुर्घटना की आशंका से बचा जा सकेगा।
दरअसल, भौगोलिक स्थिति के लिहाज से दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में ट्रेनों के परिचालन के लिए कई नदी और नालों पर लाइन का विस्तार किया गया है। नदी- नाले के ऊपर बने रेल ओवरब्रिज से ट्रेनों का परिचालन होता है।
Train Accident
ऐसे में मानसून में अक्सर ये नदी नाले उफान पर रहते हैं। ऐसे स्थानों पर पानी का स्तर देखने के लिए रेल कर्मचारियों की ड्यूटी लगती है, जो पहले रेल अफसरों को सूचित करते हैं, सूचना पर अचानक ट्रेनों का परिचालन बीच रास्ते में ही
रोकना पड़ता है, जिसमें लंबा समय लगता है और ट्रेन परिचालन में बाधा आती है। यही नहीं अक्सर बड़े हादसे की आशंका भी बनी रहती है। लेकिन इस समस्या से निपटने के लिए अब रेल मंत्रालय ने नई तकनीक का उपयोग किया है।
जिसके तहत ऐसे सभी ब्रिज पर ऑटोमेटिक वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगाये जा रहे हैं। इस सिस्टम के माध्यम से ब्रिज में खतरे के निशान से ऊपर पानी आते ही अफसरों को अलर्ट का मैसेज आ जाएगा। जिससे समय पर ट्रेनों को
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नियंत्रित कर ट्रेन दुर्घटना से बचा जा सकेगा और यात्रियों को भी परेशान नहीं होना पड़ेगा। रेल अधिकारियों की माने तो एसईसीआर में प्रमुख रूप से हाई रिस्क वाले 11 रेल ब्रिज का चिन्हांकन कर उसमें वाटर लेवल मॉनिटरिंग सिस्टम लगा
दिए गए हैं। जिसमें हसदेव, शिवनाथ, इब और मांड नदी में बने रेलवे ब्रिज प्रमुख रूप से शामिल हैं। रेल अधिकारियों की माने तो इससे मानसून में ट्रेनों के परिचालन में आने वाली बाधा और दुर्घटनाओं की आशंका खत्म होगी। ट्रेनों का सुरक्षित परिचालन हो सकेगा।