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शराब पी गई जिन्दगी : 7 की मौत 20 अस्पताल में 4 गंभीर
बिलासपुर : शराब पी गई जिन्दगी : जिले के लोफंदी गांव में अवैध शराब 7 ग्रामीणों की जिंदगी पी गई …… 20 अस्पताल में भर्ती हैं इनमें से 4 की हालत गंभीर बताई जा रही है …. हादसे के बाद जागे प्रशासन ने अब अपना काम शुरू कर दिया है …… ये सभी ग्रामीण थकान मिटाने के चक्कर में जहान से मिट गए ….. जानकारों ने बताया कि पिछले तीन दिनों से यहां लोगों की मौतों का सिलसिला जारी है ….. कई लाशों को तो बिना पोस्टमार्टम के ही जला दिया गया ….. गांव पहुंचे SDM को भी जनता के विरोध का सामना करना पडा …..
शराब पी गई जिन्दगी : किसे लाश पुर बना बिलासपुर
असल में जिले के थाना कोनी के लोफंदी गांव से पुलिस को सूचना मिली कि, गांव के सरपंच के भाई की मौत हो गई और परिजन उसके अंतिम संस्कार के तैयारी में हैं। सूचना मिलते ही पुलिस टीम एक्शन में आई …. तत्काल एक टीम गाँव के सरपंच के घर आ धमकी …. मृतक के शव का पंचनामा कर उसको पोस्टमार्टम के लिए सिम्स भेज दिया । इस दौरान जानकारी मिली कि, गांव में दो तीन दिनों के भीतर 7 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया है। मृतकों में देव कुमार पटेल, शत्रुहन देवांगन, कन्हैया पटेल, कोमल लहरे, बलदेव पटेल, कोमल देवांगन ऊर्फ नानू और रामू सुनहले शामिल हैं। इसमें चार लोगों की उपचार के दौरान मौत हो गई थी, जिनका परिजनों ने अंतिम संस्कार भी कर दिया। फिलहाल एक मृतक का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। 20 लोग अस्पतालों में भर्ती हैं जिनमें 4 ग्रामीण अभी भी गंभीर हालत में हैं। गांव में कैंप कर डोर टू डोर सर्वे कराया जा रहा है।
थकान मिटाने के चक्कर में मिट गए जहान से
हालांकि, मौत को लेकर अलग- अलग बातें कही जा रही हैं। गांव में कई ग्रामीण अत्यधिक शराब का भी सेवन करते हैं। ऐसे में ग्रामीण शराब पीने से मौत की आशंका जता रहे हैं। उधर गांव के ही एक बुजुर्ग ने कैमरे के सामने कबूल किया कि मरने वाले लोग शराब पीने के आदी थे …. दिन भर मेहनत मजदूरी करने के बाद शाम को ये लोग थकान मिटाने के लिए शराब पिया करते थे …… अब किसे पता था कि थकान मिटाने के चक्कर में ये एक दिन इस जहान से ही मिट जायेंगे ? लगातार तीन दिनों से हो रही ग्रामीणों की मौतों से ग्रामीण भी सहमें हुए हैं …….. किसी की बुढौती की लाठी टूटी तो किसी के घर का कमाऊँ बेटा चला गया …… किसी का सुहाग लुटा तो किसी के बच्चे अनाथ हो गए ……गांव के तमाम घरों से रोने सिसकने या फिर सांत्वना देने की आवाजें आ रही हैं …..
लाशों पर भी गरमाई सियासत
अंग्रेजी में एक कहावत है कि बीट द आयरन ह्वेन इट इज हॉट — यानि लोहे पर तभी प्रहार करो जब वो गर्म हो ….. कांग्रेस इस बात को बखूबी समझती है ….. लिहाजा जैसे ही लोफंदी में लगातार हो रही ग्रामीणों की मौत की खबर आई …… कांग्रेस ने सियासत शुरू करने में तनिक भी देर नहीं लगाईं …. कुछ नेता प्रभावित गांव के दौरे पर निकल गए ….. उधर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ने भी मोर्चा संभाल लिया ….उन्होंने ग्रामीणों की मौत जहरीली शराब पीने से होने का दावा भी कर डाला ….. प्रशासन को घेरते हुए उन्होंने तो यहाँ तक कह डाला की प्रशासन के पास अभी तक इसके पुष्ट आंकड़े नहीं हैं …..प्रशासन के तमाम अधिकारी -कर्मचारी इस मामले को दबाने की फिराक में हैं .. इधर, ग्रामीणों के मौत की सूचना पर कांग्रेस नेताओं ने भी प्रभावित गांव का दौरा कर पीड़ित व परिजनों से मुलाकात की है। कांग्रेस ने मौतों को लेकर सवाल खड़े करते हुए प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है। कांग्रेस के नेता का कहना है, कि प्रशासन मौत के आंकड़ों और कारणों को छिपा रहा है। मामले की जांच के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 6 सदस्यीय जांच समिति गठित की है। मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया, कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव, डीसीसी ग्रामीण विजय केशरवानी, पूर्व विधायक बिल्हा सियाराम कौशिक, पूर्व विधायक तखतपुर रश्मि सिंह और बेलतरा के पूर्व विधायक प्रत्याशी राजेंद्र डब्बू साहू को टीम में शामिल किया गया है। उधर गांव के दौरे पर पहुंचे अनुविभागीय अधिकारी को भी कांग्रेस के नेताओं ने जमकर घेरा …….. एसडीएम लगातार उन सभी को समझाने का प्रयास करते रहे मगर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष कुछ भी सुनाने को तैयार नहीं थे ……
चुनाव देखकर ताव में आए नेता
मामला बेहद गंभीर है, तो वही दूसरी ओर पूरे प्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायतों का चुनावी माहौल है …… भाजपा लगातार कांग्रेस पर हमलावर है …… ऐसे में जब कांग्रेस के हाथ भी मौका लगा तो उसने चौका मारने में कोई देर नहीं लगाईं …… जिलाध्यक्ष ने तत्काल एक जांच टीम का गठन कर खुद अपने मातहतों के साथ लोफंदी गाँव में जाकर डट गए …… सियासत चमकाने की फिराक में वे SDM से भी सवाल पर सवाल दागे …..उधर गाँव में मातम छाया हुआ है ……. कितने ही घरों का चिराग बुझ चुका है …… तो कितने ही लोगों को बिलासपुर सिम्स में रेफर किया गया है ….
गांवों में महुए की अवैध शराब कोचियों के माध्यम से बिकवाई जाती है ….. जहां ग्रामीण मजदूर अपनी थकान मिटाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं ……पर इन ग्रामीणों को क्या पता कि वो पैसे देकर मौत खरीद रहे हैं ….जो उनके बच्चो का भविष्य पत्नी की हंसी और बूढ़े मां -बाप की उम्मीदे तक पी जायेगी ….
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