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प्रकृति ने हमें कई जड़ी-बूटियों का खजाना दिया है, जिनमें से एक है डोलू (रीयम मूरक्रौफटीयेनम)। यह औषधीय पौधा विशेष रूप से उत्तर भारत के उच्च हिमालयी क्षेत्रों जैसे उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, और हिमाचल प्रदेश में पाया जाता है। लगभग 3,000 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में यह जड़ी-बूटी प्राकृतिक रूप से उगती है।
हिमालयी क्षेत्रों में रहने वाले लोग इस पौधे का उपयोग सब्जी के रूप में करते हैं। इसे खाने से न केवल पोषण मिलता है, बल्कि यह शरीर को कई बीमारियों से बचाने में भी मददगार है। इसकी औषधीय गुणों के कारण इसे प्राकृतिक चिकित्सा में विशेष स्थान प्राप्त है।
हिमालय के कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में उगने वाला यह पौधा दुर्लभ जड़ी-बूटियों में गिना जाता है। इसके औषधीय और पोषण संबंधी गुणों के कारण इसकी मांग बढ़ रही है। इसे संरक्षित करना और इसके उपयोग के पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित रखना आवश्यक है।
डोलू न केवल एक औषधीय पौधा है, बल्कि हिमालयी क्षेत्रों की सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा है। इसके उपयोग से न केवल स्वास्थ्य लाभ मिलता है, बल्कि यह प्राकृतिक चिकित्सा में भी एक महत्वपूर्ण योगदान देता है।
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