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इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को लेकर विवाद गर्म है। राज्यसभा में विपक्ष के 55 सांसदों ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करते हुए नोटिस दिया है।
क्या है पूरा मामला?
जस्टिस शेखर कुमार यादव ने हाल ही में दिए गए एक बयान में कहा था कि “यह हिंदुस्तान है, और यह देश बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा।” यह बयान विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम में दिया गया, जिससे राजनीतिक और कानूनी हलकों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।प्रतिक्रियाएं और विवाद
- सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने इसे न्यायिक आचार संहिता का उल्लंघन बताया।
- एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और अन्य विपक्षी नेताओं ने भी बयान पर कड़ी आपत्ति जताई।
महाभियोग प्रक्रिया और इसके चरण
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124(4) और 217 के तहत, किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया जटिल है।- पहला चरण: राज्यसभा में 50 या उससे अधिक सांसदों के हस्ताक्षर के साथ नोटिस देना।
- दूसरा चरण: लोकसभा और राज्यसभा में विशेष बहुमत के साथ प्रस्ताव पास करना।
- अंतिम चरण: राष्ट्रपति की मंजूरी।
न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव का प्रोफाइल
- पद: इलाहाबाद उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश।
- शिक्षा: 1988 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री।
- नियुक्ति: 2019 में अतिरिक्त न्यायाधीश और 2021 में स्थायी न्यायाधीश बने।
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