
Manikaran Himachal Pradesh भगवान शिव के क्रोध से खौलता है पानी जानें इस रहस्यमयी स्थान की कहानी
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Manikaran Himachal Pradesh भगवान शिव के क्रोध से खौलता है पानी जानें इस रहस्यमयी स्थान की कहानी
मणिकरण : हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित मणिकरण एक ऐसा स्थान है जहां प्राकृतिक गर्म पानी के झरने (हॉट स्प्रिंग्स) आज भी खौलते रहते हैं। यह स्थान धार्मिक महत्व और रहस्यमय घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है। यहां का खौलता पानी शिव और पार्वती से जुड़ी एक पौराणिक कथा को दर्शाता है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव और देवी पार्वती कुछ समय के लिए तपस्या करने मणिकरण में आए थे। एक दिन, जब देवी पार्वती एक जल स्रोत के पास बैठी थीं, उनके कानों की एक मणि (गहना) पानी में गिर गई। उन्होंने भगवान शिव से इसे ढूंढने का आग्रह किया। शिव ने नागों से मणि खोजने को कहा, लेकिन वे इसे खोज नहीं पाए।
इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। उनकी क्रोध की ऊर्जा से इस स्थान पर खौलते हुए पानी के झरने उत्पन्न हुए। माना जाता है कि इस उबलते पानी में देवी पार्वती की मणि प्रकट हुई थी। इस घटना के बाद से ही यह स्थान मणिकरण नाम से प्रसिद्ध हो गया।
यहां पानी लगातार खौलता रहता है और इसे वैज्ञानिक दृष्टि से भी अनोखा माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस क्षेत्र में भूगर्भीय गतिविधियों के कारण पानी का तापमान उच्च रहता है। हालांकि, वैज्ञानिक स्पष्टीकरण के बावजूद, स्थानीय लोग इसे भगवान शिव के क्रोध का परिणाम मानते हैं।
मणिकरण सिखों और हिंदुओं दोनों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है। यहां गुरुद्वारा मणिकरण साहिब और भगवान शिव का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। श्रद्धालु इस खौलते पानी को पवित्र मानते हैं और इसमें स्नान करने से रोगों से मुक्ति की कामना करते हैं।
इस पानी का उपयोग श्रद्धालु प्रसाद और भोजन पकाने के लिए भी करते हैं। यहां खौलते पानी में चावल और दाल पकाने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है। इसे प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांटा जाता है।
मणिकरण न केवल धर्म और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि प्रकृति और पौराणिक कथाएं किस प्रकार एक साथ जुड़ी हो सकती हैं। यह स्थान भगवान शिव की शक्ति और उनके क्रोध का प्रतीक माना जाता है, जो हमें जीवन में संतुलन बनाए रखने का संदेश देता है।
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