
Asian News Special Program : संतुलन का समीकरण : गरीबी अमीरी के बीच बढ़ा फासला, राजनेता के भरोसे नहीं होगा देश का विकास...
Asian News Special Program : कैसे काम होगी गरीबी अमीरी के बीच की खाई विषय पर परिचर्चा का आयोजन
Asian News Special Program :रायपुर। सो जाते हैं फुटपाथ पे अख़बार बिछा कर, मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते…मुनव्वर राणा का शेर देश में गरीबों के दंश को दर्शाता है। भारत में अमीर और गरीब के बीच के फासले दिन प्रतिदिन और भी चौड़ी होती जा रही है। गरीब और गरीब बनता जा रहा है और अमीर अमीर होता जा रहा है
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Asian News Special Program : इस खाई को कैसे पाटा जाए इसी गंभीर समस्या को लेकर एशियन न्यूज़ के खास कार्यक्रम संतुलन का समीकरण में “कैसे काम होगी गरीबी अमीरी के बीच की खाई” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जहां प्रदेश सहित देश भर के लोगों ने अपनी राय दिए। अगर हम बात करें तो विश्व जीडीपी रैंकिंग 2024 सूची के अनुसार, भारत दुनिया का पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है
Asian News Special Program :वित्तीय वर्ष 2023 में भारत की प्रति व्यक्ति आय लगभग दो लाख है इसके विपरीत वित्तीय वर्ष 2012 में भारत के प्रति व्यक्ति आय 71609 थी पिछले 10 वर्षों में 175% की वृद्धि हुई है जनसंख्या में भारी वृद्धि और रोजगार की मांग निर्देश की प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है इसके बावजूद हमारे देश की गरीब और अमीर के बीच की खाई पट नहीं पा रही है।
इस अवसर पर एशियन न्यूज़ के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा ने कहा कि हम देखते हैं कि जो देश में गरीब है वह दिन प्रतिदिन और भी गरीब हो रहा है और जो अमीर है वह ओर भी अमीर हो रहा है। देश आजाद होने के बाद लगातार गरीबी उन्मूलन की बातें होती आ रही है लेकिन अभी तक देश से गरीबी और अमीरी के बीच के फासले दूर नहीं हो पाई है।
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हालांकि अगर बात करें आजादी से पहले की तो 80% आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करती थी। अब लगभग 22% हो गई है यानी की 27 करोड लोग बीपीएल में है यू एन के रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2005 से 2021 के बीच 41.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर निकले हैं 2005 /06 में जहां 55% लोग गरीबी रेखा के नीचे में थे
वहीं 2019 और 21 तक यह संख्या लगभग घटकर 16% हो गई। ये सरकारी आकड़े हैं जो बता रही है की देश में अमीरी और गरीबी के बीच फासला काम हुआ है लेकिन हकीकत कुछ और है। आज भी यह खाई काम नहीं हुई है। बता दें की सरकार के द्वारा लगातार गरीबी उन्मूलन के कई योजनाएं चलाई जाती है लेकिन वह धरातल पर नहीं उतर पा रहा ह एक समय था जब गरीबी हटाओ के नारा दिया गया था।
लेकिन जिस तरीके से गरीबी हटनी चाहिए वह नहीं हट पाई। वहीं समय पर गरीबी उन्मूलन के लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही है लेकिन उन योजनाओं का सही तरीके से परिपालन नहीं हो रहा है। गरीबी और अमीरी के बीच में जो अंतर है। ओर भी बढ़ता जा रहा है।
राजकुमार कालेज के इंग्लिश विभाग के एचओडी संजय मिश्रा ने कहा कि इस दौर में अमीरी और गरीबी के बीच की खाई बहुत लंबी होती जा रही है। हमारे देश में गरीबी हटाने के लिए कई योजनाएं चलाई गई है लेकिन उसका ज्यादा फायदा नहीं हो पाया…इस दौर राजनीतिक पार्टियों बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन उसका भी कुछ हो नहीं पता है क्योंकि चुनावी पर प्रलोभन की बात है और उसका जमीनी हकीकत पर उतरना अलग बात है।
अनियमित कर्मचारी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल सहूं ने कहा अमीरी और गरीबी के बीच जो खाई बढ़ती जा रही है वह शाश्वत सत्य है इस खाई को पाटने के लिए सरकार कार्य कर रही है लेकिन जिस तरीके से करना चाहिए उसे तरीके से नहीं हो पा रही है सबसे पहले मूलभूत सुविधाएं जैसे स्वास्थ्य और शिक्षा लोगों को मिलनी चाहिए वह मिल पा रही है।
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सरकार किसी भी योजना को आम आदमी के लिए चलाती है लेकिन वह भी सही से नहीं मिल पा रहा है आज जो लोग किसी तरह से अपना जीवन यापन कर रहे हैं लेकिन उनके कमाई का ज्यादा पैसा शिक्षा और स्वास्थ्य में लग जा रहा है। सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य को व्यवस्था को सुधारने को जरूरत है तब जाकर लोगों की जिंदगी में इस खाई को पाटा जा सकता है।
एनएसयूआई के कार्यकर्ता पुनेश्वर ने कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे इस खाई को काटा जा सकता है अगर हम लोगों को सही शिक्षा देंगे तो वह आगे चलकर अपने पैरों पर खड़ा होगा और अपनी जिंदगी को ओर भी बेहतर बनाएगा
छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के संरक्षक सीएल दुबे ने कहा कि भारत आजाद होने के बाद किसी चीज का पतन हुआ है तो वह है नैतिक पतन। उन्होंने कहा कि हमारे देश में नीति सही है नीयत सही नहीं है। नेता के भरोसे कभी देश और समाज नहीं बदलेगा।
हम सभी को आगे आना होगा खुद इस देश को समाज को बदलना होगा तब जाकर इस देश से गरीबी और अमेरिकी खाई को पाटा जा सकता है आज बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं लेकिन उनको आगे करना क्या है वह समझ नहीं पा रहे हैं। आज अगर रोजगार परक शिक्षा दिया जाए तो छात्रों को या फिर युवाओं को कहीं भटकना नहीं पड़ेगा।
समाज सेवी शैलेंद्र उपाध्याय ने कहा कि गरीबी मिटाने का सबसे सही और सटीक तरीका शिक्षा है जब हम लोगों को शिक्षित करेंगे तो लोग खुद अपने रोजगार के साधन ढूंढ लेंगे इससे व्यक्तित्व और व्यक्ति दोनों का विकास होगा आज जिस तरीके से शिक्षा में भी कहीं ना कहीं असमानताएं देखी जा रही है
उससे भी गरीबी और अमीरी के बीच खाई बढ़ता जा रहा है अगर देश भर में शिक्षा को समान कर दिया जाएगा तो सभी लोग एक समान हो जाएंगे और इससे देश और व्यक्तित्व दोनों का विकास होगा।
अनियमित कर्मचारी नेता सत्यम शुक्ला ने कहा सबसे सबसे पहले हमको यह तय करना पड़ेगा कि अमीरी और गरीबी का परिभाषा कौन देता है
इसको कौन तय करता है इसको समझाना होगा। जो परिभाषा दिया जा रहा है उसको भी बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश में कई योजनाएं चल रही है और इन योजनाओं से कई लोगों का फायदा हो रहा है आज जरूरत है कि लोग अपने आप को समझें और सही चीजों का सही ढंग से इस्तेमाल करें
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