
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर से केवल 26 किमी की दूरी पर, मुंगेली जिले के खम्हारडीह में मनियारी नदी तट पर बनी श्रीचक्र महामेरू पीठम्, जो छत्तीसगढ़ की पहली वेद पाठशाला है, अपने आप में एक पवित्र और अलौकिक स्थल है। यह वह तपोभूमि है, जहां श्रीचक्र महामेरु पीठाधीश्वर श्री श्री सच्चिदानंद तीर्थ महास्वामी की तपस्या से मां राजराजेश्वरी की स्थापना होने जा रही है।
पीठम् के प्रमुख सहयोगी पं. डॉ. कौशल किशोर दुबे ने बताया कि आश्रम परिसर में दक्षिण भारतीय शिल्प से बन रहा 51 फीट ऊंचा मां राजराजेश्वरी का भव्य मंदिर निर्माणाधीन है। इस मंदिर का भूमिपूजन 23 अप्रैल 2025 को संपन्न होगा।
पं. कौशल किशोर दुबे ने महास्वामी के मार्गदर्शन में आगे कहा कि इस मंदिर के भूमिपूजन समारोह में विख्यात कथावाचक पं. अनिरूद्धाचार्य जी महाराज की उपस्थिति सनातन समाज के लिए एक अनुपम अनुभव होगी। उन्होंने सनातन धर्म के अनुयायियों से अपील की कि इस पुण्य कार्य में सभी खुले मन से तन, मन, धन से योगदान दें और मां राजराजेश्वरी की कृपा से अपने जीवन को कृतार्थ करें।
गौरतलब है कि मनियारी नदी के तट पर स्थित श्रीचक्र महामेरू पीठम् में देशभर से आए बटुकों को वेद, शास्त्र और सनातन शिक्षा दी जाती है। इस आश्रम में महास्वामी के सान्निध्य में हर वर्ष अनेक बच्चों का भविष्य उज्जवल हो रहा है। इसके अलावा, यहां आने वाले सैकड़ों लोग गुरुदीक्षा के सौभाग्य को प्राप्त कर रहे हैं।
मां राजराजेश्वरी मंदिर के लिए आयोजित इस भव्य भूमिपूजन समारोह में संतों का महासंगम भी होगा। इस अवसर पर स्वामी विशोकानंद भारती निर्वाण पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर, स्वामी श्री चक्रपाणि, राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिल भारतीय हिंदू महासभा, स्वामी विश्वानंद तीर्थ, खम्हारडीह, स्वामी उमेश आनंद गिरी, श्री महंत जूना अखाड़ा छत्तीसगढ़, स्वामी कृष्णानंद, कोलकाता, स्वामी रामानंद, कोलकाता, महंत तारकेश्वरपुरी, गिरिजावन रतनपुर, रामरूपदास त्यागी, मदकुद्वीप, स्वामी राजेश्वरानंद, प्रदेशाध्यक्ष संत महासभा, और साध्वी सुमिरन माई, भैरवी साधक, राजनांदगांव की पावन उपस्थिति रहेगी।
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