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Prayagraj Kumbh 2025 : आस्था का सैलाब या................पढ़े पूरी स्टोरी
Prayagraj Kumbh 2025 : प्रयागराज में कुछ समय पहले हुआ कुंभ मेला, जिसकी भव्यता और आध्यात्मिक महत्व जगजाहिर है, एक ऐसी त्रासदी के दाग से कलंकित हो गया जिसने हर संवेदनशील हृदय को झकझोर दिया। जिस भूमि पर मोक्ष और शांति की कामना की जाती है
Prayagraj Kumbh 2025 : वहां अचानक मची भगदड़ ने अनगिनत जिंदगियों को लील लिया, और आस्था का रंग खून से लाल हो गया।इस हृदयविदारक घटना के बाद, स्वाभाविक रूप से आक्रोश उमड़ा है। लोग सवाल पूछ रहे हैं, जवाब मांग रहे हैं। क्या यह सिर्फ एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना थी,
या व्यवस्था की लापरवाही का नतीजा? क्या हम भीड़ प्रबंधन में विफल रहे? क्या हमने सुरक्षा उपायों को पर्याप्त महत्व नहीं दिया?यह सच है कि अतीत में भी ऐसी घटनाएं हुई हैं, लेकिन क्या यह हमारी गलतियों को दोहराने का बहाना हो सकता है?
क्या हमें हर बार त्रासदी के बाद सिर्फ अफसोस जताकर चुप हो जाना चाहिए?यह भी विचारणीय है कि कुंभ जैसे विशाल आयोजनों को संभालने की जिम्मेदारी किसकी है? क्या यह सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी है, या इसमें समाज, धार्मिक संगठनों और स्वयंसेवकों की भी
भूमिका होनी चाहिए? क्या हम एक ऐसी व्यवस्था बनाने में सफल हो पाए हैं जहां हर व्यक्ति, चाहे वह कितना भी गरीब या कमजोर क्यों न हो, सुरक्षित और सम्मानित महसूस करे?इस घटना ने हमें एक और कड़वी सच्चाई से रूबरू कराया है – हमारी संवेदनहीनता।
जिस समय हमें पीड़ितों के साथ खड़ा होना चाहिए था, हम आरोप-प्रत्यारोप में उलझ गए। हमने त्रासदी को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की। क्या यह हमारी मानवता के पतन का संकेत नहीं है?कुंभ सिर्फ एक मेला नहीं है, यह हमारी संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है।
यह लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है। हमें इसे हर हाल में सुरक्षित और सम्मानजनक बनाना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।यह समय आत्म-चिंतन का है।
हमें अपने मूल्यों, अपनी प्राथमिकताओं और अपनी जिम्मेदारियों पर पुनर्विचार करना होगा। हमें एक ऐसा समाज बनाना होगा जहां हर जीवन कीमती हो, जहां हर व्यक्ति सुरक्षित महसूस करे, और जहां मानवता सबसे ऊपर हो।
कुंभ की त्रासदी हमें याद दिलाती है कि हम एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमें एक-दूसरे का ख्याल रखना होगा। हमें एक-दूसरे की मदद करनी होगी। हमें एक बेहतर भविष्य के लिए मिलकर काम करना होगा। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी उन निर्दोष लोगों के लिए जिन्होंने अपनी जान गंवाई।
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