1. धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व
माघ पूर्णिमा का विशेष महत्व – 5 फरवरी माघ मास का महत्वपूर्ण दिन है। माघ पूर्णिमा के आसपास त्रिवेणी संगम में स्नान का विशेष धार्मिक महत्व होता है।
मोक्षदायिनी तिथि – मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से पुण्य लाभ और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अर्ध कुंभ और कुंभ परंपरा – कुंभ के दौरान शुभ मुहूर्त में स्नान करने का विशेष महत्व होता है, और पीएम मोदी का यह स्नान धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा सकता है।
2. राजनीतिक रणनीति और आगामी चुनाव
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी – पीएम मोदी का यह दौरा आस्था के साथ-साथ राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा सकता है। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है, और यहां कुंभ जैसे आयोजन से जनता से जुड़ाव बढ़ाने की रणनीति हो सकती है।
हिंदू वोट बैंक को साधने की कोशिश – गंगा स्नान, रुद्राक्ष की माला और गेरुआ वस्त्र पहनकर पीएम मोदी ने हिंदू संस्कृति और परंपराओं के साथ अपने जुड़ाव को और मजबूत करने का संदेश दिया।
अयोध्या राम मंदिर के बाद दूसरी बड़ी धार्मिक यात्रा – हाल ही में अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पीएम मोदी की दूसरी महत्वपूर्ण धार्मिक यात्रा है, जो भाजपा के सांस्कृतिक एजेंडे को और आगे बढ़ा सकती है।
3. कुंभ के वैश्विक महत्व को दिखाने की कोशिश
महाकुंभ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करना – पीएम मोदी के स्नान से कुंभ मेले को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रचारित किया जा सकता है, जिससे पर्यटन और धार्मिक यात्राओं को बढ़ावा मिलेगा।
विदेशी मेहमानों की उपस्थिति – इससे पहले भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक भी कुंभ पहुंचे थे और संगम स्नान किया था, जिससे कुंभ के अंतरराष्ट्रीय महत्व को और मजबूती मिली।
निष्कर्ष:
पीएम मोदी का 5 फरवरी को कुंभ स्नान करना सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी योजनाबद्ध फैसला लगता है। इससे भाजपा को हिंदू भावनाओं को मजबूत करने, आगामी चुनावों की तैयारी, और भारत की सांस्कृतिक पहचान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करने का लाभ मिल सकता है।
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