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ISRO : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का ऐतिहासिक 100वां मिशन अपनी वांछित कक्षा तक नहीं पहुंच सका, जिससे भारत की NavIC (नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन) प्रणाली को बड़ा झटका लगा है। NVS-02 उपग्रह को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ15 (GSLV-F15) रॉकेट के जरिए लॉन्च किया गया था, लेकिन इसे सही कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका।
इसरो के अनुसार, उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में स्थापित करने के लिए आवश्यक थ्रस्टर्स फायर नहीं हो सके, क्योंकि ऑक्सीडाइज़र प्रवाह को नियंत्रित करने वाले वाल्व नहीं खुले। वर्तमान में NVS-02 उपग्रह अण्डाकार भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (GTO) में है, जो नेविगेशन प्रणाली के लिए उपयुक्त नहीं है।
हालांकि, इसरो ने यह स्पष्ट किया है कि –
NVS-02 उपग्रह भारत के NavIC (Navigation with Indian Constellation) प्रणाली का हिस्सा है, जो स्वदेशी क्षेत्रीय नेविगेशन नेटवर्क है। इसका उद्देश्य भारत और आसपास के 1500 किलोमीटर के दायरे में सटीक स्थान, वेग और समय (PVT) सेवाएँ प्रदान करना है।
NavIC प्रणाली की विशेषताएँ:
इसरो वैज्ञानिक अब NVS-02 उपग्रह को मौजूदा कक्षा में अधिकतम उपयोगी बनाने और भविष्य में NavIC प्रणाली को और मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। हालांकि, यह असफलता भारत की स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली को पूर्ण रूप से लागू करने की योजना में एक बड़ा झटका मानी जा रही है।
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