Budget 2025: आम बजट में वित्त मंत्री ने मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) का उपयोग करने की घोषणा की है। इस योजना के तहत अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप द्वीप समूह पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिससे सीफूड के निर्यात में वृद्धि हो सके। वर्तमान में भारत इस क्षेत्र से 60,000 करोड़ रुपये की कमाई करता है, जिसे अब और अधिक बढ़ाने की योजना बनाई गई है।
क्या है एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ)?
प्रत्येक देश की अपनी समुद्री सीमा होती है, लेकिन इसके आगे एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन शुरू होता है। इस क्षेत्र में देश को समुद्री संसाधनों के दोहन और उनके प्रबंधन का विशेष अधिकार प्राप्त होता है। भारत का EEZ करीब 20 लाख वर्ग किलोमीटर तक फैला हुआ है।
1982 में संयुक्त राष्ट्र ने समुद्री सीमाओं को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय कानून बनाया, जिसके तहत प्रत्येक देश को अपने तटीय क्षेत्र से 200 समुद्री मील (लगभग 370 किमी) तक EEZ का अधिकार दिया गया। इस क्षेत्र में मछली पकड़ने, तेल और गैस की खोज, समुद्री ऊर्जा उत्पादन और समुद्री परिवहन जैसी गतिविधियों को संचालित करने की अनुमति होती है।
Budget 2025: ब्लू इकोनॉमी को मिलेगी मजबूती
भारत सरकार अब समुद्री संसाधनों के बेहतर उपयोग के जरिए ब्लू इकोनॉमी को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। ब्लू इकोनॉमी का अर्थ समुद्री संसाधनों के सतत और व्यावसायिक उपयोग से है। इसमें मछली पालन, सीफूड निर्यात, तेल और गैस अन्वेषण, जहाज निर्माण, समुद्री पर्यटन और बंदरगाह विकास जैसी गतिविधियां शामिल हैं।
सरकार की नई योजना
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में घोषणा की कि भारत मछली उत्पादन और जलीय कृषि में दुनिया में दूसरे स्थान पर है। वर्तमान में 60,000 करोड़ रुपये का सीफूड निर्यात हो रहा है। इस क्षमता को और अधिक उपयोग में लाने के लिए अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप समूह में EEZ के तहत मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की योजना बनाई जा रही है।
यह कदम भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक ले जाने के साथ-साथ स्थानीय मछुआरों और समुद्री व्यापार से जुड़े व्यवसायों को भी बड़े अवसर प्रदान करेगा।
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