नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (IAF) के अनुभवी पायलट ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला जल्द ही अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनने जा रहे हैं। उन्हें नासा और एक्सिओम स्पेस (Axiom Space) के Ax-4 मिशन में बतौर पायलट चुना गया है। यह मिशन 2025 के वसंत से पहले स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन की कमान नासा की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और एक्सिओम स्पेस की मानव अंतरिक्ष उड़ान निदेशक पेगी व्हिटसन के हाथों में होगी।
शुभांशु शुक्ला मिशन पायलट के रूप में इस अभियान का हिस्सा होंगे, जबकि पोलैंड से स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी से टिबोर कापू मिशन विशेषज्ञ के रूप में शामिल होंगे। यह मिशन न केवल भारत के लिए बल्कि पोलैंड और हंगरी के लिए भी ऐतिहासिक होगा क्योंकि इन तीनों देशों के अंतरिक्ष यात्री पहली बार ISS पर जाएंगे।
लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना में जून 2006 में फाइटर पायलट के रूप में शामिल हुए थे। मार्च 2024 में उन्हें ग्रुप कैप्टन के पद पर पदोन्नत किया गया। उन्होंने Su-30 MKI, MIG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 समेत कई विमानों पर 2,000+ घंटे की उड़ान भरी है। 2019 में उन्होंने रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण प्राप्त किया और भारत के गगनयान मिशन के लिए भी चुने गए, जो इसरो का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है। इस मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला भारतीय संस्कृति को अंतरिक्ष में ले जाने की योजना बना रहे हैं। वह न केवल भारतीय व्यंजन अपने साथ लेकर जाएंगे बल्कि माइक्रोग्रैविटी में योग करने की भी योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि यह सिर्फ उनका सफर नहीं, बल्कि 1.4 अरब भारतीयों का सपना है।
इस मिशन के दौरान चालक दल सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में वैज्ञानिक प्रयोग, शैक्षिक गतिविधियां और कमर्शियल प्रयोग करेंगे। Ax-4 मिशन नासा और एक्सिओम स्पेस के सहयोग से संचालित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य निजी अंतरिक्ष यात्री मिशनों को बढ़ावा देना और पृथ्वी की निचली कक्षा में एक स्थायी अर्थव्यवस्था विकसित करना है। नासा के ISS कार्यक्रम के प्रबंधक डाना वीगेल के अनुसार, यह मिशन गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। स्पेसएक्स ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए यह मिशन कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा, अमेरिका से लॉन्च किया जाएगा और कुल 14 दिनों तक चलेगा।
शुभांशु शुक्ला की इस ऐतिहासिक यात्रा से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को एक नई दिशा मिलेगी। नासा और इसरो के बीच बढ़ते सहयोग से भविष्य में गगनयान जैसे मिशनों के लिए भी अनुभव और तकनीकी विकास को बल मिलेगा। शुभांशु का कहना है कि वह अपने अंतरिक्ष अनुभव को भारत के लोगों के साथ साझा करना चाहते हैं और यह उनकी व्यक्तिगत यात्रा नहीं, बल्कि पूरे देश की उपलब्धि है।
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