प्रयागराज : प्रयागराज महाकुंभ 2025 में साध्वी भगवती सरस्वती विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं। साध्वी भगवती सरस्वती मूल रूप से लॉस एंजिल्स, अमेरिका की निवासी हैं और स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं। 30 वर्षों से वे ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम में रह रही हैं और अपने आध्यात्मिक जीवन और महिला सशक्तिकरण के कार्यों के लिए जानी जाती हैं।
साध्वी बनने की प्रेरणा
साल 1996 में साध्वी भगवती सरस्वती भारत घूमने आईं थीं। भारतीय शाकाहार और आध्यात्मिक दर्शन से इतनी प्रभावित हुईं कि मात्र 30 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना घर और परिवार छोड़कर संन्यास का मार्ग अपना लिया। परमार्थ निकेतन आश्रम, गंगा किनारे, उनका नया घर बन गया।
महाकुंभ में संदेश
साध्वी भगवती ने महाकुंभ में अपने विचार साझा करते हुए कहा,
“यह सिर्फ संगम में पवित्र डुबकी लगाने का अवसर नहीं है, बल्कि भक्ति और आस्था में डुबकी लगाने का मौका है। यह भारतीय संस्कृति की महानता और शक्ति को दर्शाता है।”
प्रारंभिक जीवन
साध्वी भगवती का जन्म अमेरिका के कैलिफोर्निया में फ्रैंक और सुजेन गारफील्ड के घर हुआ। साध्वी बनने से पहले वे मनोविज्ञान में पीएचडी कर चुकी थीं। अमेरिका के जीवन और भारत के जीवन की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिका में लोग शिकायतों से भरे रहते हैं, चाहे वह पैसे से संबंधित हो या स्वास्थ्य से। लेकिन भारत में लोग परमात्मा की कृपा पर भरोसा करते हैं और सादगी भरा जीवन जीते हैं।
महिला सशक्तिकरण में योगदान
साध्वी भगवती सरस्वती “डिवाइन शक्ति फाउंडेशन” की अध्यक्ष हैं और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम कर रही हैं। उनका मानना है कि भारत की संस्कृति और यहां का शाकाहार लोगों को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाता है।
महाकुंभ की अन्य चर्चित साध्वी
महाकुंभ 2025 में साध्वी भगवती के साथ हर्षा रिछारिया भी चर्चा में हैं। हर्षा एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं, जो दो साल पहले साध्वी बनी थीं और निरंजनी अखाड़ा से जुड़ी हुई हैं।
मुख्य बिंदु:
- साध्वी भगवती सरस्वती का भारत आगमन: 1996
- परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश को बनाया घर
- महिला सशक्तिकरण और शाकाहार के प्रचार में योगदान
- महाकुंभ 2025 में विशेष भूमिका और संदेश
साध्वी भगवती सरस्वती भारतीय संस्कृति, शाकाहार, और आध्यात्मिक जीवन की एक मिसाल हैं, जो भारत और पश्चिमी दुनिया के बीच आध्यात्मिक सेतु का काम कर रही हैं।
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