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प्रयागराज। महाकुंभ 2025 अपने साथ एक के बाद एक अद्भुत उपलब्धियां जोड़ता जा रहा है। इस बार प्रयागराज की बेटी अनामिका शर्मा ने महाकुंभ के इतिहास में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ दिया है। अनामिका ने बैंकॉक के आकाश में 13,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाकर महाकुंभ 2025 का आधिकारिक झंडा लहराया और इसे दिव्य एवं भव्य आयोजन के रूप में दुनिया को प्रस्तुत किया।
अनामिका शर्मा, जो महज 24 वर्ष की हैं, भारत की सबसे कम उम्र की सी-लाइसेंस प्राप्त महिला स्काई डाइवर हैं। उन्होंने अपने पिता और पूर्व वायु सैनिक अजय कुमार शर्मा के मार्गदर्शन में मात्र 10 वर्ष की उम्र में पहली छलांग लगाई थी। आज वे अमेरिका के यूनाइटेड स्टेट्स पैराशूट एसोसिएशन (USPA) द्वारा प्रमाणित स्काई डाइविंग प्रशिक्षक हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई उपलब्धियां अर्जित कर चुकी हैं।
8 जनवरी 2025 को बैंकॉक के आसमान में अनामिका ने महाकुंभ का आधिकारिक झंडा लहराकर इस ऐतिहासिक आयोजन के प्रति अपनी निष्ठा और उत्साह प्रकट किया। उनकी इस छलांग ने न केवल प्रयागराज बल्कि पूरे देश को गर्व का अनुभव कराया।
यह पहली बार नहीं है जब अनामिका ने अपनी उपलब्धियों से सुर्खियां बटोरी हैं। इससे पहले 22 जनवरी 2024 को उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को स्मरणीय बनाने के लिए “जय श्रीराम” और राम मंदिर के झंडे के साथ भी 13,000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई थी।
अनामिका की अगली योजना महिला दिवस (8 मार्च 2025) के अवसर पर संगम के पवित्र जल पर लैंडिंग करने की है। यह प्रदर्शन महिला सशक्तिकरण का प्रतीक होगा। अनामिका एक प्रशिक्षित स्कूबा डाइवर भी हैं और जल पर लैंडिंग का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी हैं।
अनामिका ने अपनी हर छलांग के साथ भारतीय संस्कृति और परंपरा को विश्व स्तर पर प्रस्तुत किया है। महाकुंभ 2025 को लेकर उन्होंने कहा, “यह आयोजन हमारी ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की परंपरा का जीवंत उदाहरण है। कुंभ न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि मानवता और विश्व कल्याण का महायज्ञ है।”
अनामिका के पिता अजय कुमार शर्मा, जो स्वयं एक स्काई डाइविंग प्रशिक्षक और पूर्व वायु सैनिक हैं, उनकी प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत हैं। उन्होंने अपनी बेटी को इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए हरसंभव सहयोग दिया।
अनामिका शर्मा जैसे युवा न केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि यह भी साबित कर रहे हैं कि हमारी युवा पीढ़ी साहस, मेधा और दृढ़ संकल्प से भरपूर है।
अनामिका का यह प्रयास महाकुंभ 2025 को और भी खास बना देता है। उनकी उपलब्धि ने प्रयागराज को गौरवान्वित किया है और यह संदेश दिया है कि भारतीय बेटियां किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं।
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