रायपुर: छत्तीसगढ़ में आगामी निगम चुनावों को लेकर सियासी माहौल गर्म है। महापौर पद के लिए भाजपा से 20 महिला नेत्रियों ने अपना दावा ठोका है। महिला आरक्षण ने इस बार चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं, जिससे बड़े नेताओं की स्थिति कमजोर पड़ती नजर आ रही है।
भाजपा में दावेदारों की लंबी सूची
भाजपा इस बार महापौर पद के लिए नए चेहरों को मौका देने पर विचार कर रही है। पार्टी में पूर्व नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे, ममता अग्रवाल, सरिता वर्मा, सीमा साहू, सुशीला धीवर, सरिता दुबे, और विश्व दीनी पांडे सहित 20 महिला नेत्रियों के नाम चर्चा में हैं।
महापौर पद के लिए चयन में भाजपा इस बार उम्मीदवारों के प्रदर्शन और लोकप्रियता को प्राथमिकता देगी।
महिला आरक्षण ने बदला समीकरण
महिला आरक्षण ने इस बार दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की स्थिति कमजोर कर दी है। जहां कांग्रेस प्रत्याशियों के चयन को लेकर असमंजस में है, वहीं भाजपा अपने संगठन की ताकत के बल पर इस चुनौती को अवसर में बदलने की कोशिश में है।
भाजपा की रणनीति
भाजपा संगठन जल्दबाजी में उम्मीदवार तय करने से बच रहा है। पार्टी महापौर के लिए सर्वश्रेष्ठ और सबसे लोकप्रिय चेहरा लाने की कोशिश कर रही है।
- निगम में प्रदर्शन पर नजर: भाजपा उम्मीदवारों के पिछले प्रदर्शन और जनाधार को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेगी।
- प्रतिष्ठापूर्ण चुनाव: इस बार निगम चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, क्योंकि यह पार्टी के संगठनात्मक कौशल और चुनावी रणनीति का आकलन करने का एक बड़ा अवसर है।
कांग्रेस में दुविधा
कांग्रेस इस बार प्रत्याशी चयन को लेकर असमंजस में है। महिला आरक्षण के चलते पार्टी को अपने संभावित उम्मीदवारों की सूची में बड़ा फेरबदल करना पड़ा है। पार्टी के लिए इस चुनाव में जीत सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होगी।
महिला नेत्रियों की भूमिका अहम
दोनों ही दलों के लिए महिला आरक्षण ने महिला नेत्रियों की भूमिका को महत्वपूर्ण बना दिया है। यह चुनाव न केवल महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा देगा, बल्कि दोनों दलों के लिए नई रणनीति बनाने का भी मौका है।
रायपुर निगम चुनाव इस बार न केवल राजनीतिक दलों के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि महिला नेतृत्व को स्थापित करने का एक बड़ा अवसर भी प्रदान कर रहा है।
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