76th Republic Day : भारत 26 जनवरी 2025 को अपना 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। 26 जनवरी 1950 का दिन भारतीय इतिहास में विशेष महत्व रखता है। इसी दिन भारत का संविधान लागू हुआ और देश को गणराज्य घोषित किया गया। यह दिन स्वतंत्रता के बाद भारत के लोकतांत्रिक स्वरूप की शुरुआत का प्रतीक है। हर साल इस दिन को पूरे उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाता है।
पहला गणतंत्र दिवस: कहां और कैसे मनाया गया
पहला गणतंत्र दिवस समारोह दिल्ली के इरविन स्टेडियम (जो अब राष्ट्रीय स्टेडियम है) में आयोजित हुआ। यह उस समय का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उत्सव था। समारोह की शुरुआत भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के भारतीय ध्वज फहराने से हुई। उन्होंने गवर्नमेंट हाउस (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) में तिरंगा फहराया और भारत को गणराज्य घोषित किया।
संविधान लागू होने का समय और महत्व
26 जनवरी 1950 को सुबह 10:18 बजे भारतीय संविधान आधिकारिक रूप से लागू हुआ। इस तिथि को इसलिए चुना गया क्योंकि 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज का संकल्प लिया था।
76th Republic Day
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की शपथ
इस दिन डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। उनके नेतृत्व में गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन हुआ, जो भारत के लोकतांत्रिक स्वरूप और स्वतंत्रता के बाद एक ऐतिहासिक कदम का प्रतीक बना।
पहली परेड और झांकियां
पहले गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में भारतीय सेना की भव्य परेड का आयोजन हुआ। यह परेड भारत की सैन्य ताकत और सांस्कृतिक विविधता का प्रतीक थी। इसमें भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना ने भाग लिया। परेड में झांकियों के माध्यम से भारत की विविधता, परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित किया गया।
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देशभर में उत्सव का माहौल
पहला गणतंत्र दिवस पूरे देश में उत्साह और गर्व के साथ मनाया गया। स्कूल, कॉलेज, और सरकारी संस्थानों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। यह भारत की लोकतांत्रिक यात्रा की शुरुआत का जश्न था।
2025 में गणतंत्र दिवस परेड
76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर, दिल्ली के कर्त्तव्य पथ पर भव्य परेड का आयोजन होगा। इस वर्ष परेड की थीम “स्वर्णिम भारत – विरासत और विकास” रखी गई है, जिसमें देश की सांस्कृतिक विविधता और प्रगति को दर्शाने वाली झांकियां प्रस्तुत की जाएंगी।
पहला गणतंत्र दिवस न केवल भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, बल्कि यह लोकतंत्र और संविधान की शक्ति को सम्मान देने का दिन भी था। यह उत्सव भारत की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सम्मान व्यक्त करता है, जिसे हर साल पूरे उत्साह और गौरव के साथ मनाया जाता है।
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