
2006 Mumbai Train Blasts
2006 Mumbai Train Blasts: नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के सभी 12 आरोपियों को बरी करने के फैसले पर रोक लगा दी। जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया और जवाब मांगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट का यह फैसला कानूनी मिसाल के रूप में नहीं माना जाएगा।
2006 Mumbai Train Blasts: 11 जुलाई 2006 को मुंबई की पश्चिमी रेलवे लाइन की लोकल ट्रेनों में सात बम धमाकों में 189 लोगों की जान गई थी और 820 से अधिक घायल हुए थे। इस मामले को “7/11 मुंबई ब्लास्ट” के नाम से जाना जाता है। विशेष अदालत ने 2015 में पांच आरोपियों को मौत की सजा और सात को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 21 जुलाई 2025 को अभियोजन पक्ष के सबूतों को अपर्याप्त मानते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।
2006 Mumbai Train Blasts: महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि हाईकोर्ट का फैसला महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) के तहत अन्य मामलों को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने मांग की कि फैसले पर रोक लगाई जाए, लेकिन रिहा हो चुके आरोपियों को तत्काल जेल भेजने की मांग नहीं की। कोर्ट ने कहा कि रिहा हुए आरोपियों को वापस जेल भेजने का कोई सवाल नहीं है, लेकिन फैसले को मिसाल के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
2006 Mumbai Train Blasts: महाराष्ट्र एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) ने इस मामले की जांच की थी। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि ATS ने दबाव में काम करते हुए आरोपियों को प्रताड़ित किया था। धमाके माटुंगा रोड, बांद्रा, खार रोड, माहिम जंक्शन, जोगेश्वरी, भयंदर और बोरिवली स्टेशनों पर हुए थे। सबसे ज्यादा मौतें माहिम स्टेशन पर हुई थीं। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की अगली सुनवाई में आरोपियों के जवाबों की समीक्षा करेगा।