दिल्ली, 16 दिसंबर 2012 को घटी निर्भया कांड की आज 12वीं वर्षगांठ है, जब राष्ट्रीय राजधानी में एक चलती बस में निर्भया नामक 23 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस कांड के विरोध में आज जेएनयू छात्र संघ (JNU Students’ Union) ने एक “बेखौफ आज़ादी मार्च” निकाला, जिसमें कई छात्र शामिल हुए। मार्च का उद्देश्य निर्भया कांड को याद करना और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के प्रति जागरूकता फैलाना था।
मुख्य बिंदु:
- निर्भया कांड की वर्षगांठ पर मार्च
- इस कांड के 12 साल पूरे होने पर, जेएनयू के छात्रों ने “बेखौफ आज़ादी मार्च” का आयोजन किया।
- मार्च में शामिल छात्र-छात्राओं ने निर्भया को श्रद्धांजलि दी और महिलाओं के खिलाफ हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई।
- आपत्तिजनक नारे
- हालांकि, इस मार्च के दौरान कुछ छात्रों द्वारा आपत्तिजनक और विवादास्पद नारे भी लगाए गए।
- “बेखौफ आज़ादी” जैसे नारों के साथ ही कुछ अन्य ऐसे नारे भी लगे, जिन्हें समाज के एक बड़े हिस्से ने आपत्तिजनक और विवादित माना।
- इस घटना ने कुछ समय के लिए राजनीतिक और सामाजिक माहौल को गरम कर दिया, और कई लोगों ने इन नारों की आलोचना की।
- उद्देश्य और मांगें
- मार्च का मुख्य उद्देश्य था, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अपराधों के खिलाफ सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग करना।
- छात्रों ने यह भी मांग की कि महिला सुरक्षा के मुद्दे को अधिक गंभीरता से लिया जाए और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में त्वरित न्याय सुनिश्चित किया जाए।
- निर्भया कांड का प्रभाव
- निर्भया कांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था और इसके बाद कई बड़े बदलाव हुए थे।
- निर्भया अधिनियम (Nirbhaya Act) के तहत महिला सुरक्षा को लेकर कई नए कानून बनाए गए।
- बावजूद इसके, महिलाओं के खिलाफ हिंसा में कोई खास कमी नहीं आई है, और कई जगहों पर सुरक्षा की स्थिति अभी भी चिंताजनक है।
- सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रिया
- घटना के बाद दिल्ली और पूरे देश में प्रदर्शन और विरोध हुए थे, और अब भी निर्भया के माता-पिता और कई महिला संगठनों ने न्याय की मांग जारी रखी है।
- जेएनयू का मार्च एक ऐसी ही पहल है, जिसमें युवा वर्ग ने अपने विचार व्यक्त किए और सरकार से सख्त कार्रवाई की अपील की।
निष्कर्ष:
निर्भया कांड की सालगिरह पर जेएनयू छात्रों का मार्च एक अहम कदम था, जो न केवल निर्भया की याद को ताजा करता है, बल्कि महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सामूहिक जागरूकता भी फैलाता है। हालांकि, मार्च में आपत्तिजनक नारे लगाने को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, लेकिन इसे इस कांड और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों के खिलाफ एक मुखर विरोध के रूप में देखा जा सकता है। निर्भया कांड के बाद महिला सुरक्षा के लिए कई बदलाव किए गए, लेकिन यह भी सच है कि अभी भी सुरक्षा की स्थिति पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
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