
बलरामपुर। वन्य जीवों की तस्करी का भंडाफोड़ : सरकार का वन विभाग अपनी सफलता के कितने भी ढोल पीट ले, मगर वन्य जीवों की तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही है। वन विभाग की टीम ने हाथी दांत और तेंदुआ-भालू की खाल की तस्करी में संलिप्त पांच आरोपियों को अरेस्ट किया है। शुरूआती पूछताछ में इन सभी ने अपने -अपने जुर्म का इक़बाल कर लिया है। मामले की तहकीकात जारी है।
वन्य जीवों की तस्करी का भंडाफोड़ : कैसे तस्करों तक पहुंचे अधिकारी
दरअसल राज्य में वन्य अपराधों की रोकथाम तथा इसमें संलिप्त लोगों की धरपकड़ तेजी से की जा रही है।
इसी क्रम में वन विभाग के अमले को वन्य जीव तस्करी की गुप्त सूचना मिली थी। ख़ुफ़िया इनपुट के आधार पर उत्तर प्रदेश और झारखंड की सीमावर्ती वाड्रफनगर और रामानुजगंज वन परिक्षेत्रों में राज्य स्तरीय उड़नदस्ता प्रभारी संदीप सिंह, वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (मध्य क्षेत्र) भोपाल और बलरामपुर वनमंडल की टीम ने संयुक्त रूप से सफलतापूर्वक यह कार्रवाई की।
कौन -कौन चढ़ा वन विभाग के हत्थे
इस दौरान वाड्रफनगर वन परिक्षेत्र में तीन आरोपी लक्ष्मण पिता देवप्रसाद, मोहन पिता प्रेमलाल और दिलदार पिता गुरुदेव को हाथी दांत की तस्करी करते हुए अरेस्ट किया गया। इनके कब्जे से दो हाथी दांत, तीन मोबाइल फोन तथा एक स्कूटी बरामद की गई। इस मामले में वन परिक्षेत्र अधिकारी वाड्रफनगर ने जांच भी शुरू कर दी है। इसी प्रकार रामानुजगंज वन परिक्षेत्र में अनिल कुमार पिता भगवानदास शर्मा और रामबचन पिता शिवराम के पास से तेंदुआ की दो खाल, भालू की एक खाल, दो मोबाइल फोन, एक मोटरसाइकिल एवं एक स्कूटी बरामद की गई।
सभी अरेस्टेड आरोपियों के खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की विभिन्न धाराओं के तहत मामला कायम किया गया है। इसे देखते हुए प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख वी. श्रीनिवास राव ने जनता से अपील की है कि वे वन्य अपराध एवं तस्करी या संदिग्ध गतिविधियों की सूचना तुरंत वन विभाग को दें, ताकि अपराध करने वालों के विरूद्ध तत्परता से प्रभावी कार्रवाई की जा सके।