रानी लक्मी बाई झाँसी की वीरांगना, भारत के स्वतंत्रता संग्राम की प्रतिक रानी लक्ष्मीबाई को नमन
प्रारंभिक जीवन 19 नवंबर को वाराणसी में मणिकर्णिका के रूप में जन्म राजा गंगाधर राव से विवाह के बाद वे झांसी की रानी लक्ष्मीबाई बनी
वीरांगना की कहानी 1857 के विद्रोह में उन्होंने अंग्रेज़ो के ख़िलाफ़ जमकर संघर्ष किया उनकी तलवारबाज़ी, घुड़सवारी और नेतृत्व ने उन्हें अमर बना दिया
सहास की मिसाल उनका प्रसिद्ध वाक्य - " मैं अपनी झाँसी नहीं दूंगी " आज भी देश को सहस देता है
श्रद्धांजलि उनकी जन्म जयंती पर राष्ट्र के बलिदान, पराक्रम और अदम्य सहस को सलाम करता है