16 दिसंबर 2012 की वह घटना, जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था, आज भी महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाती है।
निर्भया ने 13 दिनों तक जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष किया, लेकिन 29 दिसंबर को वह दुनिया को अलविदा कह गई। इस घटना ने भारत के कानून में बड़े बदलाव किए।
2013 में "निर्भया एक्ट" लागू किया गया, जिसमें यौन अपराधों के खिलाफ कड़े कानून बनाए गए।
इस कांड के छह आरोपियों में से एक ने जेल में आत्महत्या कर ली, जबकि चार को फांसी की सजा दी गई। यह सजा 20 मार्च 2020 को दी गई, जो भारत में न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना गया।
यह मामला भारतीय समाज के लिए एक चेतावनी साबित हुआ। महिलाओं की सुरक्षा, लैंगिक समानता और सहमति पर गंभीर चर्चाएं शुरू हुईं।
भारतीय राज्यों ने भी यौन अपराधों के खिलाफ सख्त कानून लागू किए हैं। निर्भया कांड के बाद कई राज्यों ने फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की, महिला हेल्पलाइन शुरू की और सार्वजनिक स्थानों पर सीसीटीवी निगरानी बढ़ाई।