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Uttarakhand News : गैरसैंण। उत्तराखण्ड विधानसभा में धामी सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ‘उत्तराखण्ड अल्पसंख्यक शिक्षा विधेयक-2025’ को मंजूरी दे दी है। यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक संस्थानों में सुधार और पारदर्शिता लाने की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा। अभी तक अल्पसंख्यक संस्थानों की मान्यता केवल मुस्लिम समुदाय तक सीमित थी, लेकिन अब यह लाभ सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों तक भी विस्तारित होगा।
Uttarakhand News : पुरानी व्यवस्था में कमियां
पिछले कुछ वर्षों में मदरसा शिक्षा व्यवस्था में गंभीर समस्याएं सामने आईं, जैसे केंद्रीय छात्रवृत्ति वितरण में अनियमितताएं, मिड-डे मील में गड़बड़ियां और प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी। इन मुद्दों ने अल्पसंख्यक शिक्षा की गुणवत्ता और विश्वसनीयता को प्रभावित किया था। इसे ध्यान में रखते हुए नया विधेयक लाया गया है।
Uttarakhand News : प्रभावी बदलाव की शुरुआत
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधेयक पारित होने के बाद कहा कि 1 जुलाई 2026 से मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम और गैर-सरकारी अरबी-फारसी मदरसा मान्यता नियम समाप्त हो जाएंगे। इसके स्थान पर नया विधेयक लागू होगा, जो सभी अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को पारदर्शी मान्यता प्रदान करेगा। सीएम ने जोर देकर कहा कि यह कदम शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर करने और छात्रों के हितों की रक्षा करने में मददगार होगा।
Uttarakhand News : सरकार की निगरानी और दिशा-निर्देश
नए विधेयक के तहत सरकार को अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थानों के संचालन पर प्रभावी निगरानी रखने और आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने का अधिकार मिलेगा। इससे संस्थानों की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा। सीएम धामी ने बताया कि यह कदम न केवल शिक्षा को नई दिशा देगा, बल्कि राज्य में शैक्षिक उत्कृष्टता और सामाजिक एकता को भी मजबूत करेगा।
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