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UP News: लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी (सपा) और विपक्ष पर तीखा हमला बोला। अपने भाषण में सीएम योगी ने 2017 से पहले की स्थिति को याद करते हुए कहा कि उस समय उत्तर प्रदेश भ्रष्टाचार, भेदभाव और भाई-भतीजावाद के दलदल में फंसा हुआ था। उन्होंने डबल इंजन सरकार के कार्यकाल में सुशासन और कानून के राज को स्थापित करने का दावा किया।
UP News: 2017 से पहले यूपी बीमारू राज्य बन गया
सीएम योगी ने कहा, “1960 में उत्तर प्रदेश देश का सबसे समृद्ध राज्य था, लेकिन नीतिगत उदासीनता और गलत नीतियों के कारण यह लगातार पिछड़ता गया। 1990 तक स्थिति और खराब हो गई। योजनाएं तो बनती थीं, घोषणाएं होती थीं, लेकिन उनमें इच्छाशक्ति का अभाव था। मूलभूत सुविधाएं तक जनता को नहीं मिल पाती थीं।” उन्होंने सपा शासन पर निशाना साधते हुए कहा, “परिवार से बाहर सोचने की इच्छा ही नहीं थी। अपराध और अराजकता का बोलबाला था। पलायन, गरीबी और इलाज के अभाव में बच्चों की मौतें आम थीं।”
UP News: भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का आरोप
मुख्यमंत्री ने पूर्ववर्ती सरकारों पर सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “2017 से पहले नौकरियों में भेदभाव और भ्रष्टाचार का बोलबाला था। यह एक ऐसा कल्चर बन गया था, जिसमें योग्यता की जगह रिश्तेदारी को तरजीह दी जाती थी।”
UP News: डबल इंजन सरकार ने बदली तस्वीर
सीएम योगी ने अपनी सरकार के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते हुए कहा, “2017 के बाद डबल इंजन की सरकार ने अपराध और अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई। कानून का राज स्थापित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप आज उत्तर प्रदेश में सुशासन का माहौल है।” उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने यूपी को बीमारू राज्य से विकास के पथ पर अग्रसर किया है।
UP News: विपक्ष को घेरा
विपक्ष पर हमला जारी रखते हुए सीएम योगी ने कहा, “2017 से पहले यूपी की जो स्थिति थी, उसे कौन भूल सकता है? आज जब हम सुशासन की बात करते हैं, तो विपक्ष को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने उस दौर में क्या किया।” उन्होंने विपक्ष से सवाल किया कि क्या वे उस अराजकता और भ्रष्टाचार के दौर को वापस लाना चाहते हैं।
सीएम योगी के इस भाषण ने विधानसभा में गर्मागर्म माहौल पैदा कर दिया। उनके बयानों ने जहां सत्तापक्ष के विधायकों में उत्साह भरा, वहीं विपक्ष ने इसे राजनीतिक हमला करार दिया। यह सत्र उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तकरार का गवाह बना।
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