
STF के "दादू" ने ओढ़ा तिरंगा : मेरठ से लखनऊ तक मातम, अफसर खंगाल रहे काग्गा गैंग की कुंडली
लखनऊ। शामली में ईंट भट्टे पर बदमाशों के साथ हुई आमने – सामने की मुठभेड़ में STF के इन्स्पेक्टर सुनील कुमार ने सीने पर गोली खाई। जब एक गोली उनके सीने लगी तो उन्होंने एक हाथ से उसे कस कर पकड़ लिया और दूसरे हाथ से AK -47 से धुंआधार फायरिंग करते हुए बदमाशों की ओर बढे। इस दौरान दो गोलियां उनको और लगीं, इनमें से एक गोली उनके लीवर में जाकर फंस गई। थोड़ी ही देर में सारे समर का मंज़र बदल गया। STF के जांबाजों ने 1 लाख के ईनामी शूटर समेत कुल 4 बदमाशों को ढेर कर दिया। तो वहीं मेदांता अस्पताल में इन्स्पेक्टर सुनील कुमार इलाज के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए । वे भी शहीद हो गए। STF के लोग उनको सम्मान से “दादू” कहा करते थे।
कौन थे STF के “दादू” जरूर जानिए
शामली में पुलिस और बदमाशों के बीच बड़ी मुठभेड़ हुई थी। इसमें 4 बदमाश मारे गए और एक इंस्पेक्टर सुनील कुमार गोली लगने से घायल हुए थे। इलाज के दौरान बीते दिन वे वीरगति को प्राप्त हो गए। आज मेरठ के पैतृक गांव में उनको अंतिम विदाई दी गई। ये वही सुनील कुमार थे, जिन्हें U.P. STF की टीम और उनके साथी ‘दादू’ कह कर बुलाते थे।
एसटीएफ के ‘दादू’ और कग्गा गैंग को जानें
मुस्तफा उर्फ कग्गा को भले यूपी STF ने 13 साल पहले मार ढेर किया हो, लेकिन गैंग की कमान मुकीम काला के पास गई हो या फिर शामली में मारे गए 1 लाख के इनामी बदमाश अरशद के पास, यह पूरा ही गैंग खाकी पर हमले से कभी नहीं चूकता है। मुस्तफा उर्फ कग्गा से लेकर अरशद तक ने खाकी पर कई बार हमला किया और पुलिसवालों की जान ली है। ऐसे में STF ने कग्गा गैंग के बाकी बचे 20 सदस्यों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है, जिसने बीते दिनों उनके चाहते ‘दादू’ की जान ली थी।
आपको बता दें कि बीते सोमवार की रात को शामली में पुलिस और बदमाशों के बीच एक बड़ा एनकाउंटर हुआ था। इसमें 4 बदमाश मार गिराए गए थे और एक इंस्पेक्टर सुनील कुमार गोली लगने से घायल हो गए थे। इलाज के दौरान बीते दिन उन्हें वीरगति प्राप्त हुई। आज मेरठ के पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार भी हुआ। ये वही सुनील कुमार थे, जिन्हें यूपी एसटीएफ टीम के उनके साथी ‘दादू’ कह कर बुलाया करते थे।
मेरठ से लखनऊ तक मातम
कहा तो ये भी जाता है कि यूपी पुलिस के जिस भी अधिकारी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपराध और अपराधियों पर काम किया और वह एक बार एसटीएफ के इंस्पेक्टर सुनील कुमार के संपर्क में जरूर आया। उसके बाद तो फिर मिलनसार स्वभाव के सुनील कुमार उसके लिए ‘दादू’ हो गए। अब उन्हीं ‘दादू’ ने तिरंगे की चादर ओढ़ ली।
एसटीएफ की मेरठ यूनिट से लेकर लखनऊ मुख्यालय में एसटीएफ के अधिकारी अपने ‘दादू’ के जाने से गमगीन हैं. सिपाही से इंस्पेक्टर तक का सफर सिर्फ अपनी बहादुरी और लगन से तय करने वाले सुनील कुमार का मेरठ में पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. एसटीएफ की मेरठ यूनिट में तैनात रहते हुए भी सुनील कुमार 15/20 दिन तक घर नहीं जाते थे.
शहीद सुनील कुमार को कंधा देने लगी अफसरों की कतार
मेरठ यूनिट के प्रभारी बृजेश कुमार सिंह अपने साथी सुनील कुमार को याद करते हुए भर्राई आवाज में कहते हैं- मुझे नहीं याद कि कभी इस शख्स ने छुट्टी ली हो। कभी कोई जरूरी काम आया तो कुछ घंटे की छुट्टी लेकर गया, काम किया और फिर हाजिर। बढ़ती उम्र के बावजूद अपराधी की सूचना मिलते ही नौजवान जैसी फुर्ती आ जाती थी। ‘ पश्चिम उत्तर प्रदेश के माफियाओं और अपराधियों पर नेटवर्क और मिलनसार स्वभाव के चलते पुलिस के लोग सुनील कुमार को प्यार से ‘दादू’ ही कहते थे। यही वजह है कि आज एसटीएफ के ‘दादू’ के जाने का गम मेरठ यूनिट से लेकर लखनऊ में बैठे मुख्यालय के अफसरो तक में है। सुनील कुमार पहले पुलिस वाले नहीं है जिसको मुस्तफा कग्गा गैंग के लोगों ने निशाना बनाया हो। 2011 में यूपी एसटीएफ के साथ मुठभेड़ में मारा गया मुस्तफा उर्फ कग्गा खाकी पर हमले से कभी नहीं चूकता था। पुलिस जब भी सामने आई उसने सीधे फायर झोंक दिया और यही ट्रेंड मुकीम काला और अरशद ने तक जारी रखा।
कैसे हुई थी मुठभेड़
मुस्तफा उर्फ कग्गा के एनकाउंटर के बाद गैंग की कमान मुकीम काला के पास गई, तो इसे मुकीम काला गैंग कहा जाने लगा। 2 जनवरी 2018 को शामली के कैराना इलाके में पुलिस को सूचना मिली कि मुकीम का शार्प शूटर साबिर जनधेड़ी इलाके में आने वाला है। इंस्पेक्टर कैराना भगवत सिंह और सिपाही अंकित तोमर ने साबिर को घेरा तो उसने फायरिंग कर दी, जिसमें कांस्टेबल अंकित तोमर शहीद हो गए और इंस्पेक्टर भगवत सिंह को तीन गोली लगी थी।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई
5 जून 2013को जब इस गैंग ने सहारनपुर में दिनदहाड़े डकैती को अंजाम दिया तो बदमाशों के पीछे लगी पुलिस टीम के सिपाही राहुल ढाका ने बदमाशों का पीछा किया। आगे रेलवे क्रॉसिंग बंद थी तो गैंग के साबिर ने सिपाही की कार्बाइन छीन कर कांस्टेबल राहुल ढाका को मार डाला था।
मुकीम काला जब गैंग का सरगना हुआ और शामली पुलिस लगातार उसके ठिकानों पर दबिश दे रही थी तो बेखौफ मुकीम ने शामली के एसओजी प्रभारी के घर पहुंच कर इंस्पेक्टर के पिता को धमका दिया था। मुकीम काला को बाद में एसटीएफ ने गिरफ्तार कर लिया, फिर चित्रकूट जेल में हुए गैंगवॉर में मुकीम काला मारा गया।
वर्तमान में मुकीम काला और उसके भाई वसीम मारे जा चुके हैं. साबिर जनधेड़ी का एनकाउंटर हो चुका है। वाजिद काला हरियाणा में गैंगवॉर में मारा गया और 4 महीने पहले जेल से छूटा अरशद भी STF का शिकार बन चुका है। अब गैंग के दो सदस्य मेहताब और सादर ही सक्रिय और कुख्यात अपराधी हैं। बाकी अंडरग्राउंड हैं. फिलहाल, दोनों हरियाणा और राजस्थान की जेलों में बंद है।