SIR : यूपी, बंगाल, छत्तीसगढ़ समेत 12 राज्यों में कल से SIR, जानिए कौन-कौन सी पार्टियां कर रहीं विरोध
SIR: नई दिल्ली। देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 4 नवंबर से विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। हालांकि पश्चिम बंगाल से लेकर तमिलनाडु तक चुनाव आयोग को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके समेत कई प्रमुख विपक्षी दल इस प्रक्रिया पर सवाल उठा रहे हैं। वहीं एनडीए शासित राज्यों में इसका स्वागत किया जा रहा है। बता दें कि, चुनाव आयोग ने इसी साल बिहार में इस प्रक्रिया को किया और अब 12 राज्यों में की जा रही है।
SIR: स्टालिन जाएंगे सुप्रीम कोर्ट
तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी डीएमके ने SIR के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इसे लेकर अन्य पार्टियों के साथ बैठक भी की है। बता दें कि तमिलनाडु में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। उनकी मांग है कि ये प्रक्रिया चुनाव बाद हो, लेकिन चुनाव आयोग ने इसे नहीं माना।
SIR के विरोध में TMC का मार्च
तमिलनाडु की तरह पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) भी इसके विरोध में है। टीएमसी 4 नवंबर को कोलकाता में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मार्च निकालेगी। इसके विरोध में टीएमसी ने कहा कि तथाकथित विशेष गहन पुनरीक्षण वास्तव में खामोशी से की जाने वाली धांधली है। हम यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे कि सभी पात्र मतदाता इस प्रक्रिया में शामिल हों और पीछे न छूटें। अपने लोगों के लिए, हम अपना सब कुछ झोंक देंगे!
SIR: इसके साथ हो जातीय जनगणना: सपा
उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने इसे लेकर एक मांग की है। सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि ये बड़ी एक्सरसाइज है। हम चाहते हैं कि SIR में एक कॉलम और बढ़ाया जाए जिससे जातीय जनगणना करी जा सके। हालांकि सपा सांसद धर्मेंद्र यादव ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इसके माध्यम से विपक्ष के वोट काटे जाएंगे।
AAP ने भी उठाए SIR पर सवाल
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण पर सवाल उठाते हुए कहा कि SIR के बाद भी बिहार की मतदाता सूची में 5 लाख डुप्लीकेट वोटर हैं। एसआईआर के जरिए बिहार में एक बड़ी चुनावी धोखाधड़ी की गई है। इसके अलावा करीब एक लाख ऐसे मतदाता हैं जिनके नाम तक ज्ञात नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि इस प्रक्रिया के दौरान 80 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं।
SIR: कांग्रेस कर रही विरोध
कांग्रेस शुरू से ही इस प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग और बीजेपी पर हमलावर है। राहुल गांधी वोट चोरी का आरोप लगा रहे हैं. उन्होंने बिहार में इसके विरोध में वोटर अधिकार यात्रा भी निकाली। कांग्रेस नेताओं का दावा है कि इसके माध्यम से विपक्षी मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश रची जा रही है।
SIR: केरल की लेफ्ट सरकार ने भी किया विरोध
वहीं केरल की लेफ्ट सरकार भी इसके विरोध में है. वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने निर्वाचन आयोग से उसके फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया है। इस पर गठबंधन के सहयोगियों की बैठक हुई। गठबंधन का कहना है कि ऐसे समय में जब स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राज्य में यह संशोधन लागू नहीं किया जाना चाहिए। ये समझना चाहिए कि एसआईआर लोगों को कैसे प्रभावित करता है। आयोग को इस मामले में समीक्षा करनी चाहिए।
बता दें कि, एसआईआर के दूसरे चरण की शुरुआत पिछले महीने की 28 तारीख से शुरू हो गई है. पूरी प्रक्रिया 7 फरवरी 2026 तक चलेगी। कल यानी 4 नवंबर से घर-घर जाकर गणना शुरू होगी जो कि 4 दिसंबर तक चलेगी। इससे पहले प्रिंटिंग और ट्रेनिंग का काम किया गया।
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