Right to Disconnect Bill 2025
Right to Disconnect Bill 2025: नई दिल्ली। देश में कर्मचारियों के वर्क-लाइफ बैलेंस को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने लोकसभा में ‘राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025’ पेश किया। इस निजी सदस्य बिल में प्रस्ताव है कि कर्मचारी ऑफिस समय खत्म होने के बाद काम से जुड़े कॉल, ईमेल या मैसेज का जवाब देने के लिए बाध्य नहीं होंगे। यहां तक कि छुट्टियों के दौरान भी कर्मचारी को कार्यालयी संचार से दूर रहने का अधिकार होगा और ऐसा न करने पर कंपनी किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं कर सकेगी।
Right to Disconnect Bill 2025: क्या है बिल की मुख्य बातें?
सुप्रिया सुले द्वारा पेश इस बिल में कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा के लिए ‘एम्प्लॉयी वेलफेयर अथॉरिटी’ बनाने का सुझाव दिया गया है। यह अथॉरिटी यह सुनिश्चित करेगी कि कंपनियां ऑफ-ड्यूटी घंटों में कर्मचारियों पर काम का दबाव न डालें। कर्मचारियों को अपनी निजी जिंदगी, आराम और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करने का कानूनी अधिकार मिलेगा। यदि कोई कंपनी निर्धारित समय के बाद कर्मचारियों से संपर्क कर दबाव बनाती है, तो कर्मचारी अथॉरिटी में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
Right to Disconnect Bill 2025: क्यों ज़रूरी हुआ यह बिल?
कोविड-19 के बाद वर्क फ्रॉम होम चलन बढ़ा, लेकिन इसके साथ ही डिजिटल वर्कलोड भी बढ़ गया। कई कर्मचारियों का कहना है कि अब ऑफिस टाइम की कोई सीमा नहीं रही और देर रात तक ऑनलाइन रहने से मानसिक तनाव, थकान और डिप्रेशन जैसी समस्याएं बढ़ी हैं। इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए यह बिल कर्मचारियों को डिजिटल तनाव से राहत देने का प्रयास करता है।
Right to Disconnect Bill 2025: अन्य देशों में पहले से लागू
फ्रांस, स्पेन, पुर्तगाल और बेल्जियम जैसे देश पहले से ही इस नियम को अपनाए हुए हैं। फ्रांस ने 2017 में इस कानून को लागू किया था, जिसमें 50 से ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनियों पर दिशानिर्देश लागू किए गए थे। इन देशों में कर्मचारियों को काम खत्म होने के बाद बिना किसी दबाव के आराम करने का अधिकार दिया जाता है।
Right to Disconnect Bill 2025: क्या बनेगा भारत में कानून?
हालांकि यह बिल एक निजी सदस्य बिल है जिसे आमतौर पर चर्चा के बाद वापस ले लिया जाता है। सरकार की ओर से अभी आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। यदि इस बिल को मंजूरी मिलती है तो यह देश के कामकाजी लोगों के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस को नई दिशा देगा और कार्यालय संस्कृति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
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