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Paush Somwati Amavasya Tulsi Parikrama: सोमवती अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन तुलसी की परिक्रमा करने की परंपरा अत्यंत पुरानी और महत्वपूर्ण है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी लाभकारी मानी जाती है। इस दिन मां तुलसी की पूजा और परिक्रमा से व्यक्ति के जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।
तुलसी परिक्रमा से होने वाले लाभ: सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी की परिक्रमा से मानसिक और शारीरिक शांति प्राप्त होती है। यह नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने की शक्ति रखती है, जिससे घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। महिलाएं विशेष रूप से इस दिन व्रत रखकर अपनी परेशानियों से मुक्ति पाने और सुख-समृद्धि के लिए तुलसी की परिक्रमा करती हैं। इसके अलावा, यह परंपरा भगवान विष्णु के आशीर्वाद को भी प्राप्त करने का एक प्रमुख साधन मानी जाती है।
तुलसी परिक्रमा की विधि:
- सबसे पहले, सोमवती अमावस्या के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- तुलसी के पौधे को गंगाजल से धोकर साफ करें और फिर उसका श्रृंगार करें।
- तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
- तुलसी के पौधे को फूल, चंदन और अन्य पूजन सामग्री से सजाएं।
- अब तुलसी के पौधे के चारों ओर दक्षिणावर्त दिशा में 108 बार परिक्रमा करें।
- परिक्रमा करते हुए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ तुलसी माता नमः” मंत्र का जाप करें।
- इस दौरान मां तुलसी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें।
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