Raipur City News : रायपुर। आश्विन माह की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा पर आज राजधानी के मंदिरों में भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ धरती पर अमृत वर्षा करता है और इसी शुभ घड़ी में दूधाधारी मठ में भगवान बालाजी की सदियों पुरानी परंपरा जीवंत होगी।
Raipur City News : बता दें कि रायपुर का ऐतिहासिक दूधाधारी मठ आज रात विशेष पूजा-अर्चना से गूंजेगा। परंपरा के अनुसार, आधी रात को भगवान बालाजी को गर्भगृह से बाहर लाया जाएगा और चांदी के सिंहासन पर विराजमान किया जाएगा। मठ के महंत रामसुंदर दास इस अनुष्ठान का संचालन करेंगे। इसके बाद श्रद्धालुओं को ‘अमृत खीर’ का प्रसाद बांटा जाएगा, जिसे चांदनी रात में तैयार किया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, इस बार चंद्रमा का सप्तम भाव में होना और वृद्धि योग इस रात्रि को विशेष फलदायी बनाता है। माना जाता है कि इस रात चांदनी में रखी खीर अमृत तुल्य होती है।
Raipur City News : बंगाली समाज में मां लक्ष्मी की ‘कोजागरी पूजा’-
रायपुर के बंगाली समाज में शरद पूर्णिमा का त्योहार मां लक्ष्मी की कोजागरी पूजा के रूप में मनाया जाएगा। कालीबाड़ी चौक, पंडरी सिटी, माना कैंप और गुढ़ियारी समेत कई स्थानों पर शाम 7.30 बजे से पूजा, पुष्पांजलि, भोग और आरती होगी। भक्त देर रात तक मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए एकत्रित रहेंगे।
Raipur City News : श्री महाकाल धाम में ‘शिवामृत महोत्सव’-
खारुन नदी तट स्थित श्री महाकाल धाम, अमलेश्वर में भी आज शरद पूर्णिमा के अवसर पर शिवामृत महोत्सव मनाया जा रहा है। सुबह से सहस्त्र पार्थिव शिवलिंग निर्माण और वैदिक हवन का आयोजन किया गया है। दिनभर रुद्राभिषेक, संध्या में महाआरती, भक्ति संध्या और अखंड संकीर्तन होगा।
इसी तरह गोपाल मंदिर में रास उत्सव और गिरिराज मंदिर में दो दिवसीय उत्सव मनाया जाएगा, जहां ठाकुरजी को श्वेत वस्त्रों से सजाकर चांदनी में आरती की जाएगी।
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