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मुंबई। महाराष्ट्र सरकार जल्द ही मुंबई में पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रही है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना और इसे एक ग्रीन और क्लीन शहर बनाना है। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो केवल इलेक्ट्रिक (EV) और CNG वाहन ही मुंबई में चल सकेंगे। सरकार ने इस विषय पर अध्ययन करने के लिए एक सात सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो तीन महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई की एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (AQI) 2020 से अब तक 12% तक खराब हो चुकी है, और इसका प्रमुख कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं, अत्यधिक ट्रैफिक, निर्माण कार्य और औद्योगिक प्रदूषण है। इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह पेट्रोल और डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की संभावनाओं पर विचार करें। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, सरकार ने 22 जनवरी को एक समिति गठित की, जो इस योजना के प्रभाव और व्यवहार्यता पर रिपोर्ट तैयार करेगी।
इस प्रतिबंध से वायु गुणवत्ता में सुधार और प्रदूषण में कमी की उम्मीद है, लेकिन साथ ही कई चुनौतियां भी हैं। मुंबई में अभी EV चार्जिंग स्टेशनों की कमी है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों पर पूरी तरह निर्भर रहना मुश्किल हो सकता है। इसके अलावा, शहर की मेट्रो और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम अभी पूरी तरह से विकसित नहीं है, जिससे लाखों नागरिकों के लिए यह एक चुनौती बन सकता है। ट्रांसपोर्ट, डिलीवरी सर्विस और टैक्सी उद्योगों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि फ्यूल-चालित वाहनों को बदलने में उन्हें उच्च लागत का सामना करना पड़ेगा।
सरकार इस फैसले को लागू करने से पहले इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की योजना भी बना रही है, जिसमें EV चार्जिंग स्टेशनों की संख्या बढ़ाना, मेट्रो नेटवर्क का विस्तार करना और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए नई पार्किंग पॉलिसी लागू करना शामिल है। यदि यह नीति सफल होती है, तो यह अन्य शहरों के लिए एक उदाहरण बन सकती है, क्योंकि दिल्ली, बेंगलुरु, कोलकाता जैसे कई शहरों में भी वायु गुणवत्ता में गिरावट हो रही है।
मुंबई के निवासियों के लिए यह बदलाव महत्वपूर्ण हो सकता है। यदि सरकार इस योजना को लागू करती है, तो नागरिकों को EV या CNG वाहनों में स्विच करने की आवश्यकता हो सकती है। हालांकि, इसे पूरी तरह से लागू करने के लिए सरकार को बड़े स्तर पर निवेश और व्यापक जनसंपर्क अभियान की जरूरत होगी। इस बीच, सभी की नजर समिति की रिपोर्ट पर है, जो तीन महीने में इस योजना के क्रियान्वयन पर अपनी सिफारिशें पेश करेगी। यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो मुंबई भारत का पहला शहर बन सकता है, जहां केवल इलेक्ट्रिक और CNG वाहन ही चलेंगे।
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